Karwa Chauth Saree Ideas 2023: आलिया भट्ट से लेकर कैटरीना कैफ तक, करवा चौथ पर रेड एथनिक ऑउटफिट कैरी करने के लिए लें इन अभिनेत्रियों से प्रेरणा

Karwa Chauth Dress Ideas 2023: अखंड सौभाग्य की कामना से सुहागन महिलाएं साल में कई व्रत करती हैं, जिनमें से एक है करवा चौथ (Karwa Chauth). जी हां, करवा चौथ व्रत को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह देखने को मिलता है, जिसके लिए महिलाएं कई दिन पहले से अपनी तैयारियां शुरु कर देती हैं. करवा चौथ पर महिलाएं सजती-संवरती हैं और सोलह श्रृंगार करके करवा चौथ का पूजन करती हैं. इस व्रत में महिलाएं लाल रंग (Red Colour Outfits) के कपड़ों को खासा महत्व देती हैं, क्योंकि लाल रंग को बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन महिलाएं इस तरह से संवरती हैं कि वो सबसे ज्यादा सुंदर लगें, इसलिए अगर आप भी करवा चौथ पर अपनी सुंदरता और स्टाइल में चार चांद लगाना चाहती हैं तो आप आलिया भट्ट से लेकर कैटरीना कैफ तक, बॉलीवुड की इन अभिनेत्रियों से रेड एथनिक ऑउटफिट कैरी करने के लिए प्रेरणा ले सकती हैं.

कैटरीना कैफ 

 

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आप कैटरीना कैफ की तरह लाल रंग की साड़ी कैरी करके करवा चौथ पर अपनी सुंदरता में चार चांद लगा सकती हैं.

आलिया भट्ट

 

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साधारण स्लीवलेस ब्लाउज के साथ जोड़ी गई यह रेशम ऑर्गेना साड़ी करवा चौथ के लिए उपयुक्त लगती है.

मौनी रॉय

 

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अगर आप एक उचित पारंपरिक, ब्राइडल लुक चाह रही हैं तो करवा चौथ पर आपको लाल बनारसी साड़ी पहननी चाहिए.

रवीना टंडन


अगर आप फेस्टिव लुक चाहती हैं, लेकिन कंफर्टेबल रहना चाहती हैं तो हैवी एम्बेलिशमेंट या एम्ब्रायडरी वाला लाल शरारा चुनें.

अनुष्का शर्मा

 

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करवा चौथ पर सुंदर और आकर्षक दिखने के लिए आप अनुष्का शर्मा के इस लुक से प्रेरणा ले सकती हैं.

शिल्पा शेट्टी

शिल्पा शेट्टी अपनी फिटनेस के साथ-साथ अपने स्टाइल के लिए जानी जाती हैं. आप करवा चौथ पर उनले प्रेरणा ले सकती हैं.

मृणाल ठाकुर

 

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करवा चौथ पर सफेद रेशम की साड़ी पर लाल रंग के फूलों की आकृति आपके इस फेस्टिवल में चार चांद लगा सकती है.

गौरतलब है कि इस साल करवा चौथ का त्योहार 1 नवंबर 2023 को मनाया जा रहा है. ऐसे में अगर आप बॉलीवुड अभिनेत्रियों की तरह खूबसूरत और स्टाइलिश लगना चाहती हैं तो उनके इन रेड एथनिक आउटफिट लुक्स से प्रेरणा लेकर अपने लुक को अखंड सौभाग्य के इस पर्व के लिए खास बना सकती हैं.

Hartalika Teej 2023 Mehndi Designs: हरतालिका तीज पर मेहंदी रचाकर अपने हाथों की सुंदरता में लगाएं चार चांद, ट्राई करें ये खूबसूरत और मनमोहक डिजाइन्स

Hartalika Teej 2023 Mehndi Designs: अखंड सौभाग्य के पर्व हरियाली तीज (Hariyali Teej) और कजरी तीज (Kajari Teej) को मनाने के बाद अब महिलाएं हरतालिका तीज (Hartalika Teej) को लेकर काफी उत्साहित हैं. हिंदू धर्म में महिलाओं द्वारा अखंड सौभाग्य की कामना से किए जाने वाले व्रतों में हरतालिका तीज का विशेष महत्व बताया जाता है और इस व्रत के नियम भी काफी कठोर होते हैं, जिसका पालन स्त्रियों को करना होता है. इस साल हरतालिका तीज 18 सितंबर 2023, सोमवार को मनाई जा रही है. इस दिन महिला बिना कुछ खाए पिए निर्जल व्रत रखती हैं और सज संवरकर भगवान शिव-माता पार्वती (Bhagwan Shiv-Mata Parvati) की पूजा करती हैं. हालांकि महिलाएं इसके लिए कई दिन पहले से ही तैयारियों में जुट जाती हैं. नए कपड़े, गहने और श्रृंगार की सामग्री के साथ-साथ मेहंदी का भी इस पर्व में खास महत्व है, इसलिए इस दिन महिलाएं अपने हाथों में मेहंदी (Mehendi) जरूर रचाती हैं.

अखंड सौभाग्य के सबसे कठिन व्रतों में शुमार हरतालिका तीज के दिन मेहंदी रचाना काफी शुभ माना जाता है और इसके बिना इस पर्व को अधूरा माना जाता है. यही वजह है कि हरतालिका तीज के दिन महिलाएं अपने हाथों और पैरों में मेहंदी लगाती हैं. आप भी मेहंदी के इन खूबसूरत और मनमोहक डिजाइन्स को ट्राई करके अपने हाथों की सुंदरता में चार चांद लगा सकती हैं.

तीज स्पेशल मेहंदी डिजाइन

 

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खूबसूरत और मनमोहक डिजाइन


शिव-पार्वती स्पेशल मेहंदी

 

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लेटेस्ट तीज मेहंदी डिजाइन

भगवान शिव और गजराज वाली मेहंदी

 

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यह भी पढ़ें: Hartalika Teej Vrat 2023 Date: जानें कब है हरतालिका तीज का व्रत? पढ़े नियम, पूजा-विधि एवं पौराणिक कथा!

फ्रंट हैंड के लिए स्टाइलिश मेहंदी

बैक हैंड के लिए आसान मेहंदी

हरतालिका तीज स्पेशल मेहंदी डिजाइन

तीज वाली थीम बेस्ड मेहंदी

तीज के लिए सिंपल मेहंदी डिजाइन

गौरतलब है कि हरतालिका तीज के दिन महिलाएं स्नानादि से निवृत्त होने के बाद व्रत का संकल्प लेती हैं, फिर प्रदोष काल में नए वस्त्र पहनकर, सोलह श्रृंगार करके महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करती हैं. शिव और माता पार्वती की पूजा करके महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अच्छी सेहत और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं. सुहागन महिलाओं के अलावा अच्छे वर की कामना से कुंवारी कन्याएं भी हरतालिका तीज का व्रत करती हैं.

International Dance Day 2023: कब है अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस? जानें इसका महत्व, इतिहास एवं भारतीय नृत्य-कला का प्राचीनतम स्वरूप!

प्रत्येक वर्ष 29 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाया जाता है. यह दिवस विशेष ‘नृत्य’ की महत्ता को समझने और विशेष कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है. गौरतलब है कि जिस तरह नृत्य की तमाम विधाएं हैं, उसी तरह नृत्य के तमाम लाभ हैं, यह मानसिक तनाव दूर करता है, शरीर को चुस्त एवं फुर्तीला बनाता है साथ ही एक कला विशेष का प्रचार प्रसार भी होता है. आइये जानें विश्व नृत्य दिवस के महत्व, इतिहास एवं उद्देश्य के संदर्भ में.. यह भी पढ़ें: Ganga Saptami 2023: कब मनायें गंगा सप्तमी 26 या 27 अप्रैल को? जानें इसका महत्व, मुहूर्त, पूजा-अनुष्ठान आरती इत्यादि!

अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस का महत्व
नृत्य एक अति प्राचीन कला है, जो सार्वभौमिक एवं सभी के लिए सुलभ है. आज की विविध एवं वैश्विक दुनिया में, अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस संबंधों को मजबूत बनाने और संवादों का आदान-प्रदान करने का सशक्त एवं उत्कृष्ट माध्यम है. नृत्य केवल आत्म-अभिव्यक्ति का रचनात्मक रूप ही नहीं है, बल्कि इसमें विविधताएं भी हैं. 29 अप्रैल 1982 को अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान ने नृत्य के रचनात्मक मूल्यों एवं इसके विभिन्न स्वरूपों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और दुनिया भर में नृत्य के सभी रूपों को विकसित करने के लिए 29 अप्रैल को विश्व नृत्य दिवस मनाने की घोषणा की थी. आदिकाल में देवी-देवताओं की पूजा करने, कहानी सुनाने आदि के लिए नृत्य को आधार बनाया जाता था. यह मूलतः आत्म-अभिव्यक्ति, मनोरंजन, शिक्षा को आधुनिक नृत्य के रूपों में प्रदर्शन किया जाता है. इसमें भारतीय शास्त्रीय नृत्यों के विभिन्न रूपों से लेकर बैले, टैंगो, जैज, टैप एवं हिप तक शामिल है.

अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस का इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस का बहुत रोचक इतिहास है. गौरतलब है कि साल 29 अप्रैल 1727 को फ्रांसीसी जीन जॉर्ज नोवरे का जन्म हुआ था, जो वास्तव में बैले मास्टर थे और बैले डी एक्शन की खोज उन्होंने ही की थी. लोग उन्हें 19वीं शताब्दी के कथा बैले के अग्रदूत मानते थे. साल 1982 में अंतरराष्ट्रीय रंगमंच संस्थान (ITI) की नृत्य समिति ने जीन जॉर्जेस नोवरे के जन्म दिन 29 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस मना कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की थी. इसके बाद से हर साल 29 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाया जाता है.

सेलिब्रेशन
अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य आम लोगों के बीच नृत्य की महत्ता का अलख जगाना तथा विश्व स्तर पर लोगों का ध्यान इस ओर आकृष्ट करना है, ताकि लोगों में नृत्य के प्रति जागरुकता हो. इसके साथ-साथ सरकार द्वारा पूरे विश्व में नृत्य को शिक्षा की सभी विधाओं में एक उचित जगह उपलब्ध कराना है. साल 2005 में नृत्य दिवस को प्राथमिक शिक्षा के रूप में केंद्रित किया गया. इस अवसर पर विद्यालयों में बच्चों द्वारा नृत्य पर निबंध, वाद-विवाद, परिचर्चा, एवं चित्रकला का आयोजन भी किया जाता है.

भारत में नृत्य कला!
मान्यता है कि आज से 2000 वर्ष पूर्व त्रेतायुग में देवताओं के अनुरोध पर भगवान ब्रह्मा ने नृत्य वेद तैयार किया, तभी से दुनिया भर में नृत्य की उत्पत्ति हुई. इस नृत्य वेद में सामवेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद व ऋग्वेद से कई चीजों को शामिल किया गया. कहा जाता है कि नृत्य वेद की रचना जब पूरी हो गई, तब नृत्य का अभ्यास भरत मुनि के सौ पुत्रों ने किया. भारत में नृत्य कला हजारों साल पुरानी है.

कथकली नृत्यः यह 17 वीं शताब्दी में केरल से आया. यह नृत्य में आकर्षक वेशभूषा, संकेतों व थिरकन के माध्यम से एक पूरी कहानी को दर्शाता है.
मोहिनीअट्टमः यह नृत्य कलाकार का ईश्वर के प्रति अपने प्यार व समर्पण को दर्शाता है. इसमें नर्तकी सुनहरे बॉर्डर वाली सफेद सा़ड़ी एवं भारी-भरकम आभूषण पहनकर नृत्य करती है.
ओडिसीः यह उ़ड़ीसा का अति प्राचीन एवं भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपनी आराधना व प्रेम दर्शाने वाला नृत्य है. इसमें सिर, छाती व श्रोणि की मुख्य क्रियाएं होती हैं. इस नृत्य की कलाकृतियां उड़ीसा में बने भगवान जगन्नाथ पुरी व कोणार्क मंदिर की पहचान है.
कथकः यह नृत्य काशी उत्तर प्रदेश की है, जिसमें राधा कृष्ण की नटवर शैली को प्रदर्शित किया जाता है. कथक का नाम संस्कृत शब्द कहानी व यथार्थ से उद्धृत है.
भरतनाट्यमः यह शास्त्रीय नृत्य तमिलनाडु का है. पुराने समय में मंदिरों में नृत्यांगनाओं द्वारा इस नृत्य को किया जाता था, जिन्हें देवदासी कहा जाता था. इस पारंपरिक नृत्य को दया, पवित्रता व कोमलता के लिए जाना जाता है.
कुचिपुड़ीः आंध्रप्रदेश के इस नृत्य को भगवान मेला नटकम नाम से भी जाना जाता है. इस नृत्य में गीत एवं चरित्र की मनोदशा नृत्य-नाटिका के रूप में शुरू होती है. इसमें खासतौर से कर्नाटक संगीत का उपयोग किया जाता है.

Swami Samarth Prakatya Diwas 2023: किसके अवतार थे स्वामी समर्थ जी! जानें स्वामीजी के जीवन से जुड़े रोचक प्रसंग!

  श्री स्वामी समर्थ महाराज का प्राकट्य कब हुआ? वह कहां से आए थे, कौन थे, इसके बारे में प्रमाणिक दस्तावेज नहीं है. लेकिन एक कहानी के अनुसार माना जाता है कि श्री स्वामी समर्थ महाराज का अवतार पंजाब प्रांत के हस्तिनापुर से लगभग 24 किमी दूर छेली खेड़ा नामक गांव में बरगद के पेड़ के पास हुआ था. 1856 में अक्कलकोट के खंडोबा मंदिर में प्रकट हुए, वह दिन चैत्र शुद्ध द्वितीया तिथि थी, उसके अनुसार इस वर्ष 23 मार्च को स्वामी जी का प्राकट्य दिवस मनाया जायेगा. यहां प्रस्तुत है स्वामी जी के जीवन को कुछ रोचक संस्मरण.
  स्वामी समर्थ जी महाराज को श्रीपाद वल्लभ और नृसिंह सरस्वती के बाद भगवान श्री दत्तात्रेय का तीसरा अवतार माना जाता है. कहा जाता है कि अक्कलकोट में प्रकट होने से पहले स्वामी जी इधर-उधर भ्रमण करते रहे, और मंगलवेधे आये थे. यहां वे काफी लोकप्रिय प्राप्त हुई थी. यहां से वह सोलापुर होते हुए फिर अक्कलकोट आये.

भक्तों से उसी रूप में मिलते थे, जो भक्त चाहते थे
  स्वामी समर्थ पूर्ण ब्रह्म रूप में श्री दत्त महाराज के तीसरे अवतार हैं. भक्तों ने उन्हें जिस रूप में पहले देखा, वह उसे उसी रूप में दर्शन देते थे. किसी ने उन्हें श्री विथू मौली के रूप में तो किसी ने श्री भगवान विष्णु के रूप में और किसी ने भगवती के रूप में देखा और महसूस किया था. वह हमेशा से अपने भक्तों के साथ खड़े रहते हैं और उन्हें आश्वासन देते हैं कि डरो मत मैं तुम्हारे साथ हूं.  

खंडोबा मंदिर में आश्रय!
  स्वामी समर्थ महाराज जी जब पहली बार अक्कलकोट आये, तो उन्होंने खंडोबा मंदिर के बरामदे में अपना आसन जमाया था. इस प्रवास के दरम्यान उन्होंने कई चमत्कार किए, लेकिन उन्होंने राजा और रंक में कभी कोई फर्क नहीं रखा. वह हर किसी पर समान प्यार बरसाते थे. यहां उन्होंने सबको बताया कि वह यजुर्वेदी ब्राह्मण हैं, उनका गोत्र कश्यप तथा राशि  मीन है. उन्होंने अपने शिष्यों श्री लप्पा एवं श्री चोळप्पा को आशीर्वाद दिया. वहीं से स्वामी समर्थ जी ने पूरे देश का भ्रमण किया. हर जगह पर उन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता था.

स्वामी जी और गोंडवलेकर महाराज की तलवार
  स्वामी जी के संदर्भ में श्री गोंडवलेकर महाराज की जीवनी में काफी कुछ वर्णित है. ऐसी ही एक घटना के अनुसार वासुदेव बलवंत फड़के अकसर तलवार लेकर स्वामी समर्थ जी का दर्शन करने जाते थे. उन्हें लगता था कि यदि स्वामी जी उनकी तलवार पर हाथ रख देंगे, तो उनकी क्रांति सफल हो जायेगी. स्वामी जी ने नौकर को बुलाया और फड़के का तलवार बाहर ले जाने को कहा. यह इस बात का प्रतीक था कि फड़के की क्रांति सफल नहीं होगी. यह देख वासुदेव बलवंत फड़के निराश हो गये, और तलवार लेकर लौट आये. उधर श्री गोंडवलेकर महाराज ने भी फड़के को चेतावनी दी कि अभी क्रांति का सही समय नहीं आया है.

स्वामी जी ने 600 वर्ष की आयु में ली महासमाधि
  स्वामीजी के बारे में प्रचलित है कि उन्होंने विभिन्न स्थानों पर 400 सालों तक तपस्या की. साल 1458 में नृसिंह सरस्वती श्री शैल्य यात्रा के कारण कर्दली वन में वह अदृश्य हुए थे. इसी वन में स्वामीजी 300 साल तक समाधि अवस्था में थे. इस दरम्यान उनके शरीर के चारों ओर चींटियों ने बांबी बना लिया. एक दिन एक लकड़हारे की गलती से बांबी पर कुल्हाड़ी गिरी. कुल्हाड़ी उठाने पर उसे खून दिखा. उसने बांबी की सफाई की तो एक बुजुर्ग योगी साधना में लीन दिखे. लकड़हारा उनकी चरणों में गिरकर ध्यान भंग करने के अपराध में छमा याचना करने लगा. योगीजी ने कहा ये तुम्हारी गलती नहीं बल्कि मुझे पुनः लोगों को सेवाएं देने का दैवीय आदेश है. नये स्वरूप में 854 से 30 अप्रैल 1878 तक अक्कलकोट में रहकर लगभग 600 वर्ष की आयु में उन्होंने महासमाधि ली.

ट्रेन की अंतिम बोगी पर क्रॉस या लड़कियों की शर्ट में बटन बाईं तरफ क्यों होते हैं? जानें इनके रोचक जवाब!

कभी-कभी कुछ सामान्य-सी दिखती बातों को हम नजरअंदाज कर देते हैं. हालांकि उस पर सवाल पूछे जाने पर निरुत्तर रह जाते हैं. उदाहरण के लिए हम देखते हैं ट्रेन के सबसे पीछे वाले डिब्बे पर पीले रंग का क्रॉस का निशान होता है, क्रॉस क्यों होता है, अथवा वह पीले रंग का ही क्यों होता है? आस्तीन में एक के बजाय दो बटन क्यों लगे होते हैं? महिलाओं की शर्ट में बाईं तरफ बटन क्यों होते हैं? अथवा जब कोई आपको ठगता है तो आप उसे 420 के बजाय 421 या किसी और नंबर से क्यों नहीं संबोधित करते हैं. यहां कुछ ऐसे ही सवालों का जवाब दिया जा रहा है.

ट्रेन के पीछे के डिब्बे में क्रॉस का होना!

लगभग हर यात्री ट्रेन की अंतिम बोगी पर क्रॉस का निशान होता है. यह क्रॉस दर्शाता है कि यह ट्रेन का अंतिम डिब्बा है, स्टेशन पर तैनात स्टेशन मास्टर को अगर किसी ट्रेन में यह क्रॉस नहीं दिखता है तो वह ट्रेन को रुकवा कर जांच कर सकता है कि कहीं अंतिम या पीछे के कुछ डिब्बे किसी वजह से छूट तो नहीं गये. यानी अंतिम डिब्बे पर बना क्रॉस दर्शाता है कि ट्रेन अपनी पूरी बोगियों के साथ जा रही है. मालगाड़ी में यह क्रॉस थोड़ा छोटे आकार का होता है, क्योंकि मालगाड़ी में सबसे पीछे गार्ड का डिब्बा होता है. यह भी पढ़ें : Vrat & Tyohar of March 2023: इस माह होली, रामनवमी, गुड़ी पाड़वा, एवं नवरात्रि जैसे प्रमुख व्रत एवं त्यौहार पड़ेंगे! देखें पूरी सूची!

क्यों होते हैं फुल आस्तीन में दो बटन?

पुरुषों के शर्ट की आस्तीन में दो बटन लगे होने के बारे में डिजाइनर्स का कहना है, इसकी वजह यह है कि आप आस्तीन को टाइट अथवा लूज कर सकें. आप शर्ट की बाईं ओर की बांह को टाइट करने के लिए पीछे लगे बटन का इस्तेमाल करते हैं, जबकि दाईं हाथ में लगा आगे का बटन का इस्तेमाल उस हाथ में बंधी घड़ी के लिए करते हैं, ताकि आपको घड़ी बांधने अथवा उसे बार-बार देखने में दिक्कत नहीं हो.

लड़कियों की शर्ट में बाईं तरफ बटन क्यों होते हैं?

इस संदर्भ में कई तरह के फैक्ट बताये जाते हैं, एक तो यह कि महिलाएं अकसर अपने बच्चे को बाएं हाथों से गोद में उठाती है. उनकी सुविधा के लिए बटन बाईं तरफ इसलिए लगाते हैं, ताकि वे बटन खोलकर फीडिंग करवा सकें. एक अन्य फैक्ट के अनुसार प्राचीन काल में जो महिलाएं घुड़सवारी करती थीं, वही महिलाएं सुविधा के लिए शर्ट पहनती थीं, उनकी शर्ट में बाईं ओर बटन होने के कारण तेज हवा चलने पर बटन खुलने की संभावना कम रहती थी.

धोखेबाजों को 420 क्यों कहते हैं?

आपको जब कोई धोखा देता है तो आप कहते हैं, तुम बड़े 420 हो, आपने उसके लिए कभी भी 421 या कोई और नंबर का प्रयोग नहीं किया. आखिर क्यों? दरअसल यह नंबर कानून से जुड़ा मुद्दा है. भारतीय दंड संहिता की एक विशेष धारा 420 है, जो ऐसे व्यक्ति के लिए होता है, जिसने किसी व्यक्ति या किसी संस्था के साथ बेईमानी की हो. छोटी मोटी बेईमानी लोग नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन बड़ी बेईमानी अथवा धोखाधड़ी के मामले में वह कानून की चपेट में आ जाता है और गुनाह साबित होने पर उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत सजा सुनाई जाती है. यह सजा अधिकतम 7 साल की होती है.

Use of Room Heater in Winter: सर्दी में रूम हीटर खरीदते या प्रयोग करते वक्त रखें इन बातों का ध्यान! लापरवाही ले सकती है जान!

निरंतर गिरते तापमान के साथ ही रूम हीटर की उपयोगिता बढ़ रही है, अगर आप उत्तर भारत अथवा पहाड़ी अंचलों में रहते हैं, तब तो रूम हीटर के बिना एक पल भी गुजारना मुश्किल हो जाता है. अगर आप भी ऐसा ही कुछ सोच रहे हैं तो रूम हीटर खरीदने और इसका सही उपयोग करना आपको आना ही चाहिए. आइये जानें इस संदर्भ में कुछ महत्वपूर्ण टिप्स.

* नया रूम हीटर खरीदने से पहले इन बातों की जानकारी अवश्य रखिये

सेफ्टी चेकः आप अगर बाजार से हीटर खरीदने जा रहे हैं तो खरीदते समय यह जांच लें कि हीटर में सेफ्टी चेक हो. क्योंकि आजकल बाजार में ऐसे रूम हीटर उपलब्ध हैं, जो शरीर को गर्म करने के बाद ऑटोमेटिक बंद हो जाता है. जिस घर में बच्चे हों, उन्हें तो सेफ्टी चेक वाले रूम हीटर ही खरीदना चाहिए. यह भी पढ़ें : Yoga Can Cure Cancer: योग से कैंसर को कर सकते हैं क्योर, जानें कैसे

हेल्थ फ्रेंडलीः सर्दी बढ़ने के साथ ही हर कोई हीटर वाले कमरे में ही रहना चाहते हैं. ऐसी स्थिति में आपका रूम हीटर हेल्थ फ्रेंडली होना जरूरी है. इन्फ्रारेड और फैन हीटर कमरे को गर्म करने के लिए ऑक्सीजन अवशोषित करते हैं, इस वजह से कमरे में ऑक्सीजन की मात्रा सामान्य से कम होती जाती है, इससे आंखों एवं नाक में दिक्कत पैदा कर सकती है, ऐसे हालात में ह्यूमिडिफायर रहित हीटर न खरीदें.

अच्छी क्वालिटीः हीटर सालों यूज करने वाली चीज है, इसलिए खरीदते समय इसकी क्वालिटी, ब्रांड एवं वॉरंटी देखकर ही हीटर खरीदें, लोकल मेड चीजें सस्ती होती हैं, मगर ये कब खराब हो जाये पता नहीं चलता. जानकारी के लिए बता दें कि इंफ्रारेड हीटर या फैन हीटर डेढ़ हजार से ढाई हजार रुपये में मिल जाता है.

* रूम हीटर से होने वाले नुकसान

ऊपरी तौर पर कड़कती ठंड में रूम हीटर अथवा ब्लोअर की गर्मी शरीर को बहुत राहत दिलाती है, लेकिन इस राहत के पीछे सेहत के लिए कुछ नुकसान करने वाले तथ्य भी हैं, जिनके बारे में जानना बहुत जरूरी है. आइये जानें इससे होने वाले नुकसान के बारे में…

त्वचा में खुजलीः रूम हीटर की गर्मी से त्वचा ड्राई होती है, जिसकी वजह से त्वचा में खुजली एवं लाल चकत्ते जैसे निशान पड़ सकते हैं.

सांस संबंधी प्रॉब्लमः हीटर की गर्म हवा कमरे के नॉर्मल ऑक्सीजन को अवशोषित करती है, जिसकी वजह से अस्थमा अथवा एलर्जी की समस्या बढ़ सकती है.

सिर दर्दः हीटर ऑन करके सोने से बचना चाहिए. ऐसा करने से सिर दर्द, नींद की कमी जैसी समस्याएं परेशान कर सकती है.

आंखों की समस्याः जो लोग आंखों में लेंस अथवा चश्मा पहनते हैं, उन्हें ज्यादा समय तक ब्लोअर अथवा रूम हीटर में नहीं रखना चाहिए.

इंटरनल डैमेजः कन्वेंशन हीटर से निकलने वाले रासायनिक शरीर के अंदरूनी हिस्सों को पहुंचा सकती है नुकसान, जो जानलेवा हो सकती है!

* इन बातों का रखें ध्यानः

– हीटर का इस्तेमाल करते समय कमरे में किसी बड़े बर्तन में पानी भरकर रखें. इससे सामान्य ऑक्सीजन का स्तर मेंटेन रहता है.

– हीटर का एक सही तापमान सेट करके रखें, और निर्धारित समय बाद हीटर बंद कर दें, सामान्य रूप से दो घंटे से ज्यादा समय तक हीटर ऑन नहीं रखना चाहिए.

– साल के अंतराल में हीटर का प्रयोग करने से पहले इसकी सर्विसिंग जरूर करवाते रहिये.

हीटर ऑन रहने तक कमरे अथवा खिड़की के दरवाजे खोलकर रखें, इससे ऑक्सीजन का आवागमन बना रहता है.

– बच्चों, वृद्धों एवं पेट्स के कमरे में हीटर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. यह जानलेवा साबित हो सकता है.

Myntra Sale: मिंत्रा का ईओआरएस-17, 10 से 16 दिसंबर तक 17 लाख स्टाइल्स के साथ 50 लाख खरीदारों की जरूरतों को पूरा करेगा

Myntra Sale: मिंत्रा (Myntra) के द्विवार्षिक एंड ऑफ रीजन सेल (ईओआरएस) का 17वां संस्करण अग्रणी फैशन, ब्यूटी और लाइफस्टाइल ब्रांडों में 17 लाख स्टाइल्स के साथ 5 मिलियन दुकानदारों की मांग को पूरा करने के लिए तैयार है। कंपनी ने बुधवार को इसकी जानकारी दी है.

कंपनी के अनुसार, 10-16 दिसंबर तक ईओआरएस का लेटेस्ट एडिशन पिछले विंटर एडिशन की तुलना में 70 प्रतिशत अधिक स्टाइल काउंट के साथ बड़ा है, जो 6,000 से अधिक लोकप्रिय घरेलू और अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों की पेशकश पर 17 लाख से अधिक स्टाइल्स के साथ इवेंट को ऊपर उठा रहा है.

मिंत्रा के अंदरूनी सूत्रों (मिंत्रा के लॉयल्टी प्रोग्राम के सदस्य) के लिए अर्ली एक्सेस 9 दिसंबर से शुरू हो रहा है.

मेगा फैशन कार्निवल के दौरान पहले से ही बेजोड़ कीमतों के अलावा अंदरूनी सूत्र सभी ऑर्डर पर मुफ्त शिपिंग और 20 प्रतिशत तक की कीमत में एक तरह की कटौती का लाभ उठाएंगे.

मिंत्रा में मुख्य व्यवसाय अधिकारी, शेरोन पेस ने कहा, “ईओआरएस 16 सफल एडिशनों के साथ देश भर के फैशन उत्साही लोगों के लिए एक मुख्य आधार रहा है और हमें विश्वास है कि 17वां एक पंच पैक करेगा, क्योंकि यह हर साल बड़ा और बेहतर होता जा रहा है, जिसमें चयन और पेशकश पर बहुमुखी शैलियों की एक श्रृंखला के साथ भाग लेने वाले ब्रांडों की संख्या शामिल है.”

गाला इवेंट मिंत्रा के लिए किराना स्टोर पार्टनर्स, छोटे और मध्यम स्तर के ब्रांड और सप्लाई चेन पार्टनर्स सहित फैशन इकोसिस्टम में अपने प्रमुख भागीदारों को सशक्त बनाने के कई अवसर भी प्रस्तुत करता है.

पेस ने कहा, “हम उन लाखों खरीदारों को सेवा प्रदान करने की उम्मीद कर रहे हैं जो नए साल के लिए अपने लुक्स और आउटफिट्स को और बेहतर बनाने के लिए ईओआरएस का इंतजार कर रहे हैं और आने वाले पार्टी सीजन में साल को स्टाइल से खत्म करेंगे.”

इस सात दिवसीय कार्यक्रम में देश भर में 5 मिलियन अद्वितीय ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने की भी उम्मीद है.

उपभोक्ता यूएसपीए, लैकमे, डोरोथी पर्किन्स, बूहू, नेस्टी गल, एच एंड एम, मासिक, एनोमली, एटूड, लेवाइस, लुइस फिलिप, केनेथ कोल, नाइके, प्यूमा, एडिडास, बोट, रेड टेप, एचआरएक्स, बैगिट, लवी, अनौक, विशुद्ध, मामाअर्थ, मैक, बेनिफिट, बाथ एंड बॉडी वर्क्‍स, अन्य जैसे प्रमुख ब्रांडों से फैशन, लाइफस्टाइल, होम डेकोर, ब्यूटी और पर्सनल केयर (बीपीसी) प्रोडक्टस को तेज मूल्य ऑफर और अभूतपूर्व कीमतों पर चुन सकते हैं.

श्रेणी की कुछ प्रमुख हाइलाइट्स में स्पोर्ट्स सेगमेंट शामिल है, जिसमें फुटवियर और अपैरल के लगभग 2,000 ब्रांड ऑफर पर हैं, इसके बाद बीपीसी सेगमेंट है, जो 1400 से अधिक ब्रांड्स को नेवर-बिफॉर कीमतों पर होस्ट करेगा, 70 हजार से अधिक स्टाइल जिसमें मेबेललाइन और लक्मे, निविया और वाव जैसे ब्रांडों पर बाय वन गेट वन जैसी अविश्वसनीय ऑफर भी शामिल हैं.

इसके अलावा, मैक, कामा आयुर्वेद और फॉरेस्ट एसेंशियल जैसे प्रीमियम ब्रांड भी खरीदारों को जोड़ने के लिए मुफ्त उपहार और अन्य रोमांचक ऑफर दे रहे हैं.

कंपनी ने कहा कि उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए तैयार किए गए सेगमेंट में नए लॉन्च में एनोमली, मैसिक, फ्रीमैन और एट्यूड जैसे प्रमुख ब्रांड शामिल हैं.

मिंत्रा ने कहा, “ब्रांड मेनिया और हैप्पी आवर जैसे सीमित समय के कार्यक्रम विशेष ऑफर पेश करेंगे, पहली बार खरीदारी करने वाले अपने पहले चार ऑर्डर पर मुफ्त शिपिंग की उम्मीद कर सकते हैं, साथ ही भविष्य में उपयोग के लिए रोमांचक कूपन भी प्राप्त कर सकते हैं.”

16,000 से अधिक किराना भागीदारों और फ्रेंचाइजी के साथ देश भर में 20 हजार पिन कोड को पूरा करने के लिए, ईओआरएस-17 इवेंट से जुड़े 80 प्रतिशत डिलीवरी का समर्थन करने के लिए मिंत्रा के प्रशंसित किराना मोड का लाभ उठाएंगे.

Significance Of Black Thread: पैरों अथवा बांहों में क्यों बांधते हैं काला धागा? इसे बांधने से पहले जान लें इसके आवश्यक नियम!

एक समय था, जब मां अपने नवजात शिशु को दुनिया भर की बुरी नजरों से बचाने के लिए उसके पैरों में काले मोती से बना काला धागा बांधती थीं, अथवा माथे पर काला काजल लगाती थीं. मान्यता है कि काला रंग नकारात्मक ऊर्जा अथवा दूसरे की काली जुबान के प्रभाव से बचाता है. वर्तमान में यह टोटका एक फैशन की रूप ले चुका है. आज शायद ही कोई ऐसी लड़की (कुछ जगहों पर पुरुष भी) होगी, जिसके पैरों में काला धागा ना दिखे. हालांकि बड़े-बुजुर्गों का आज भी यही मानना है कि बड़ा हो या छोटा काला धागा, काजल, बुरी नजरों, काले जुबानों एवं नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव से सभी को बचाता है. आइये जानें काले धागा बांधने के क्या क्या नियम हैं…

सर्वप्रथम बता दें कि काला धागा बांधने या ना बांधने के भी कुछ मूलभूत नियम हैं, इसलिए अगर आप अपने पैरों में काला धागा बांध रही हैं, तो कुछ बातों का अवश्य ध्यान रखें, वरना इसका विपरीत असर भी पड़ सकता है.

* अगर आप पहली बार अपने पैरों में काला धागा पहनने जा रही हैं तो कोशिश करें कि धागा बांधते समय यह आपके शरीर को अवश्य स्पर्श करता रहे.

* ध्यान रहे इस धागे को बांधने के पश्चात अगर आपको किसी मानसिक अथवा शारीरिक समस्याएं शुरू हुई हैं तो इसे तुरंत हटा दें. क्योंकि ग्रह विशेष से प्रभावित लोगों के लिए इसके नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं. बेहतर होगा कि आप किसी ज्योतिष शास्त्री से राय मशविरा करने के बाद ही काला धागा बांधे. यह भी पढ़ें: Tourists in Himachal: हिमाचल में पर्यटकों की संख्या में रिकॉर्ड तीन गुना से अधिक का इजाफा

* अगर कोई महिला अपनी बाईं कलाई पर काला धागा बांधती है तो इससे आपके मन में शुभता आती है.

* अगर धागा ढीला हो गया है अथवा टूट गया है तो नया धागा बांधना चाहिए. वरना प्रत्येक तीन से चार माह में धागे बदल लेना चाहिए. तभी काला धागा बांधने का लाभ मिलता है.

* अगर आप काला धागा के प्रभाव को नहीं मानते हैं तो आप एक बार शनिवार के दिन शनि के वैदिक मंत्रों के जाप के साथ काला धागा पहनकर देखिये, आपको इसका लाभ महसूस होगा.

* काला धागा बांधने के लिए शनिवारा का दिन सबसे ज्यादा लाभकारी माना जाता है.

* हिंदू धर्म में काला धागा शनिदेव का प्रतीक माना जाता है, और शनि को कर्म का देवता भी माना जाता है, इसलिए जो लोग काला धागा पहनते हैं, उन्हें अशुभ कार्यों से बचना चाहिए. उन्हें किसी मासूम पशु अथवा पक्षियों को बेवजह परेशान नहीं करना चाहिए.

* अगर आप काला धागा पैर अथवा हाथों में बांधते हैं तो कोशिश करें कि घर में सदा शांति बनी रहे, या फिर आप इस दिन एक या दो बार किसी भी समय गायत्री मंत्र का जाप अवश्य करें.

* काला धागा बांधने के पश्चात सुनिश्चित कर लें कि यह धागा आपकी बांह अथवा पैरों में अच्छी तरह बंधा है या नहीं.

Bal Gopal Dresses for Janmashtami 2022: कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाने के लिए बच्चों को नटखट कान्हा की तरह करें तैयार (Watch Tutorial Videos)

Bal Gopal Dresses for Janmashtami 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, कान्हा का जन्मोत्सव (Kanha Janmotsav) यानी कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) का त्योहार हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 18 अगस्त 2022 को मनाई जा रही है. मान्यता है कि इसी पावन तिथि पर रोहिणी नक्षत्र में रात बारह बजे श्रीहरि (Lord Vishnu) ने माता देवकी के गर्भ से श्रीकृष्ण (Shri Krishna) के रूप में आठवां अवतार लिया था. भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं से भला कौन वाकिफ नहीं है. उनके नटखट, चंचल और हंसमुख स्वभाव के कारण ही उन्हें बाल गोपाल या नंद गोपाल कहा जाता है. हिंदू धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व बताया जाता है, इसलिए कान्हा के जन्मोत्सव को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है.

इस पर्व को सेलिब्रेट करने के लिए कई दिन पहले से ही तैयारियां की जाती हैं. इस पर्व को मनाने के लिए लोग अपने बच्चों को राधा और कृष्ण की तरह तैयार करते हैं. इस अवसर पर फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है. अगर आप भी अपने बच्चे को नटखट कान्हा की तरह तैयार करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर हैं. यह भी पढ़ें: Shri Krishna DP Images & HD Wallpapers: जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण की प्रोफाइल फोटो अपने सोशल मिडिया अकाउंट पर लगाने के लिए यहां से करें फ्री डाउनलोड

अगर आपके इलाके में दही हांडी या फिर स्कूल में फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है तो आप अपने बच्चे को कान्हा की तरह तैयार कर सकते हैं. इसके लिए धोती, मोरपंख, बांसुरी, वैजयंती माला, मुकुट इत्यादि की जरूरत पड़ेगी. कृष्ण जन्माष्टमी पर आपका बेटा या बच्चा बिल्कुल नटखट कान्हा की तरह लगे, इसके लिए आप इन ट्यूटोरियल वीडियोज की मदद ले सकते हैं.

लड़कों के लिए जन्माष्टमी फैंसी ड्रेस आइडियाज

भगवान कृष्ण फैंसी ड्रेस ट्यूटोरियल

बच्चे को नटखट कान्हा की तरह ऐसे करें तैयार

गोकुल अष्टमी के लिए कान्हा फैन्सी ड्रेस आइडिया

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श्रीकृष्ण की तरह तैयार होने के  लिए ट्यूटोरियल

बहरहाल, आप इन वीडियोज में बताए गए ट्यूटोरियल्स की मदद से जन्माष्टमी पर अपने बेटे को कान्हा की तरह आसानी से तैयार कर सकते हैं. अपने बच्चों को कान्हा बनाकर आप इस पर्व को यादगार और खास बना सकते हैं. आप सभी को कृष्ण जन्माष्टमी की ढेर सारी शुभकामनाएं.

Gudi Padwa 2022: गुड़ी पड़वा पर पहनें महाराष्ट्र की पारंपरिक नौवारी साड़ी, यहां देखें सबसे आसान तरीका

Gudi Padwa 2022: महाराष्ट्र और गोवा में हर साल गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) के पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, इसी पर्व से हिंदू नव वर्ष (Hindu New Year) की शुरुआत होती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, गुड़ी पड़वा का त्योहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है और इसी पर्व से नए हिंदू संवत्सर की शुरुआत होती है. इसके साथ ही इसी दिन से मां दुर्गा की उपासना के नौ दिवसीय पर्व चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) की शुरुआत भी होती है. खासकर, महाराष्ट्र और गोवा में गुड़ी पड़वा का उत्सव देखते ही बनता है. इस साल गुड़ी पड़वा 2 अप्रैल को मनाई जा रही है. इस खास अवसर पर  महाराष्ट्रीयन परिवार की महिलाएं और पुरुष पारंपरिक पोशाक पहनकर गुड़ी पड़वा का पूजन करते हैं. महिलाएं पारंपरिक नौवारी साड़ी पहनकर तैयार होती हैं. अगर आप भी गुड़ी पड़वा पर पारंपरिक तरीके से तैयार होना चाहती हैं तो आप इस ट्यूटोरियल वीडियो की मदद से बहुत ही आसान तरीके से नौवारी साड़ी पहन सकती हैं और इस पर्व को सही मायनों में खास बना सकते हैं.

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