प्रयागराज, 30 नवंबर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद के खिलाफ 2015 में गोरखपुर में दर्ज आपराधिक मामले को वापस लेने की अर्जी मंजूर कर ली है। इस मामले में निषाद पर रेलवे लाइन पर धरना-प्रदर्शन की अगुवाई करने का आरोप था।
राज्य सरकार की ओर से दायर एक आपराधिक पुनर्विचार अर्जी मंजूर करते हुए न्यायमूर्ति राजबीर सिंह ने अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, गोरखपुर के 29 सितंबर 2023 के आदेश को दरकिनार कर दिया। इस आदेश में डॉ. संजय निषाद के खिलाफ आपराधिक मामले को वापस लेने के लिए विशेष सरकारी वकील द्वारा दायर आवेदन खारिज कर दिया गया था।
अदालत ने कहा, ‘‘आरोप की प्रकृति और तथ्यों पर विचार करते हुए मुकदमा वापस लेने का मामला बनता है। इस मामले के तथ्यों से स्पष्ट है कि सरकारी वकील ने स्वतंत्र रूप से दिमाग का इस्तेमाल किया और कानून के अनुसार अपने विवेक का प्रयोग किया है।’’
उक्त मामला गोरखपुर रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) पोस्ट में रेलवे अधिनियम की धारा 174 के तहत दर्ज किया गया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि निषाद ने निषाद समुदाय के अन्य लोगों के साथ मिलकर सात जून 2015 को रेलवे ट्रैक पर धरना प्रदर्शन किया जिसकी वजह से मगहर और सहजांवा के बीच रेल यातायात बाधित हुआ।
सरकारी अभियोजक ने निचली अदालत में इस मामले को वापस लेने के लिए आवेदन किया जिसे इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित कानून के मद्देनजर कि किसी मौजूदा या पूर्व सांसद या विधायक के खिलाफ कोई भी मुकदमा उच्च न्यायालय की अनुमति के बिना वापस नहीं लिया जाएगा।
हालांकि, राज्य सरकार के अधिवक्ता ने दलील दी कि उच्च न्यायालय ने 21 मार्च 2023 के आदेश के जरिए राज्य को इस मुकदमे को वापस लेने की अनुमति दे दी है।
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