नयी दिल्ली, 30 सितंबर बिजली मंत्रालय ने जलविद्युत परियोजनाओं के संबंध में
बाढ़ नियंत्रण और सड़कें तथा पुल जैसे बुनियादी ढांचे के लिए बजटीय सहायता को लेकर विस्तृत दिशानिर्देश जारी किया है।
मंत्रालय के बयान के अनुसार उक्त उपायों के लिये बजटीय सहायता का मकसद इन परियोजनाओं के लिये शुल्क दरों को कम करना है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि ग्राहकों को केवल बिजली को लेकर ही शुल्क देने होंगे।
बाढ़ नियंत्रण का वित्तीय प्रबंधन सीडब्ल्यूसी जैसी तकनीकी एजेंसियां दिशानिर्देश के अनुसार करेंगी।
बयान के अनुसार, ‘‘बिजली मंत्रालय ने जलविद्युत परियोजनाओं के संबंध में बाढ़ नियंत्रण के लिये बजटीय सहायता और सड़क तथा पुल जैसे बुनियादी ढांचे के लिए बजटीय सहायता को लेकर विस्तृत दिशानिर्देश जारी किये हैं।’’
सार्वजनिक निवेश बोर्ड (पीआईबी)/ मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) द्वारा प्रत्येक परियोजना के मूल्यांकन के बाद बाढ़ नियंत्रण/भंडारण लागत के लिए आवश्यक राशि, विद्युत मंत्रालय के बजटीय प्रावधानों के माध्यम से नियत प्रक्रिया के अनुसार जारी की जाएगी।
जलविद्युत परियोजनाओं के लिये सड़क/पुज जैसी संबंधित ढांचागत सुविधाओं के लिये बजटीय सहायता मामला-दर-मामला आधार पर होगी।
बयान के अनुसार यह मौजूदा नियमों/उचित प्रक्रिया के अनुसार सार्वजनिक निवेश बोर्ड (पीआईबी)/ मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति द्वारा प्रत्येक परियोजना के मूल्यांकन/अनुमोदन के बाद उपलब्ध कराई जाएगी और विद्युत मंत्रालय द्वारा इसे प्रदान किया जाएगा।
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