जरुरी जानकारी | जलविद्युत परियोजना: सरकार ने बाढ़ नियंत्रण के लिये बजटीय सहायता को लेकर दिशानिर्देश जारी किया

नयी दिल्ली, 30 सितंबर बिजली मंत्रालय ने जलविद्युत परियोजनाओं के संबंध में
बाढ़ नियंत्रण और सड़कें तथा पुल जैसे बुनियादी ढांचे के लिए बजटीय सहायता को लेकर विस्तृत दिशानिर्देश जारी किया है।
मंत्रालय के बयान के अनुसार उक्त उपायों के लिये बजटीय सहायता का मकसद इन परियोजनाओं के लिये शुल्क दरों को कम करना है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि ग्राहकों को केवल बिजली को लेकर ही शुल्क देने होंगे।
बाढ़ नियंत्रण का वित्तीय प्रबंधन सीडब्ल्यूसी जैसी तकनीकी एजेंसियां दिशानिर्देश के अनुसार करेंगी।
बयान के अनुसार, ‘‘बिजली मंत्रालय ने जलविद्युत परियोजनाओं के संबंध में बाढ़ नियंत्रण के लिये बजटीय सहायता और सड़क तथा पुल जैसे बुनियादी ढांचे के लिए बजटीय सहायता को लेकर विस्तृत दिशानिर्देश जारी किये हैं।’’
सार्वजनिक निवेश बोर्ड (पीआईबी)/ मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) द्वारा प्रत्येक परियोजना के मूल्यांकन के बाद बाढ़ नियंत्रण/भंडारण लागत के लिए आवश्यक राशि, विद्युत मंत्रालय के बजटीय प्रावधानों के माध्यम से नियत प्रक्रिया के अनुसार जारी की जाएगी।
जलविद्युत परियोजनाओं के लिये सड़क/पुज जैसी संबंधित ढांचागत सुविधाओं के लिये बजटीय सहायता मामला-दर-मामला आधार पर होगी।
बयान के अनुसार यह मौजूदा नियमों/उचित प्रक्रिया के अनुसार सार्वजनिक निवेश बोर्ड (पीआईबी)/ मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति द्वारा प्रत्येक परियोजना के मूल्यांकन/अनुमोदन के बाद उपलब्ध कराई जाएगी और विद्युत मंत्रालय द्वारा इसे प्रदान किया जाएगा।

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देश की खबरें | अवैध खनन पर हर हाल में रोक लगनी चाहिए : मुख्यमंत्री

रांची, 30 सितंबर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य में अवैध खनन पर हर हाल में रोक लगनी चाहिए ताकि राजस्व का नुकसान ना हो।
मुख्यमंत्री ने खनन एवं भूतत्व विभाग की समीक्षा बैठक में उक्त निर्देश दिए।
समीक्षा बैठक में विभागीय सचिव पूजा सिंघल ने मुख्यमंत्री को इस बात से अवगत कराया कि अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कार्य बल का गठन किया गया है।
लेकिन मुख्यमंत्री ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि इतनी व्यवस्था के बावजूद आखिर कैसे राज्य में अवैध खनन का कारोबार बदस्तूर जारी है?
सचिव ने बैठक में बताया कि डीएमएफटी फंड के तहत पिछले 6 वर्षों में 7,693 करोड़ रुपए की राशि मिली है। इसमें से 3,120 करोड़ रुपए विभिन्न योजनाओं में खर्च किए जा चुके हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि कोविड-19 को देखते हुए डीएमएफटी फंड के तहत मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भी राशि खर्च करने की अनुमति दे दी गई है जिसमें ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करना भी शामिल है।

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Miss Diva Miss Universe India 2021 की विनर बनीं हरनाज संधू, इजराइल में 70वें मिस यूनिवर्स पेजेंट में करेंगी देश का प्रतिनिधित्व

Miss Diva Miss Universe India 2021: मिस दिवा मिस यूनिवर्स इंडिया 2021 (Miss Diva Miss Universe India 2021) की विनर हरनाज संधू (Harnaaz Sandhu) बन गई हैं. जी हां, पंजाब की 21 वर्षीय ब्यूटी क्वीन ने मिस दिवा मिस यूनिवर्स इंडिया 2021 का प्रतिष्ठित खिताब हासिल किया है और अब वह मिस यूनिवर्स 2021 (Miss Universe 2021) में देश का प्रतिनिधित्व करेंगी. बता दें कि 70वां मिस यूनिवर्स पेजेंट इस साल दिसंबर में इजराइल के इलियट में आयोजित किया जाएगा. कार्यक्रम के अंत में मेक्सिको की एंड्रिया मेजा (Andrea Meza) अपने उत्तराधिकारी का ताज संभालेंगी.

मिस दिवा मिस यूनिवर्स इंडिया 2021 की विजेता हरनाज संधू!

 

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इस बीच, रितिका खतनानी (Ritika Khatnani) को मिस दिवा सुपरनेशनल 2022 (Miss Diva Supranational 2022) का विजेता घोषित किया गया. मिस सुपरनेशनल 2022 पोलैंड में होने वाले मिस सुपरनेशनल पेजेंट का 13वां संस्करण होगा. कार्यक्रम के अंत में नामीबिया की चानिक राबे अपने उत्तराधिकारी का ताज अपने नाम करेंगी.

 

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सोनल कुकरेजा (Sonal Kukreja) को घोषित किया गया फर्स्ट रनर अप

 

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दिविता राय (Divita Rai) ने दूसरी रनर-अप का खिताब किया अपने नाम

 

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तारिणी कलिंगरायर (Tarini Kalingarayar) बनीं तीसरी रनर-अप

 

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अंकिता सिंह (Ankita Singh) को चौथी रनर-अप घोषित किया गया

 

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मिस दिवा 2021 की टॉप 6 सुंदरियों में अंकिता सिंह, दिविता राय, हरनाज़ संधू, रितिका खतनानी, सोनल कुकरेजा और तारिणी कलिंगरायर के नाम शामिल थे.

 

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टॉप 10 फाइनलिस्टों में अंकिता सिंह, आयशा असदी, दिविता राय, हरनाज संधू, निकिता तिवारी, पल्लबी सैकिया, रितिका खतनानी, सिद्धि गुप्ता, सोनल कुकरेजा और तारिणी कलिंगरायर के नाम शामिल थे.

 

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जरुरी जानकारी | एनएफआरए ने 1,000 से अधिक लेखा परीक्षकों, ऑडिट कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की

नयी दिल्ली, 30 सितंबर राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) ने सरकार से जरूरी जानकारी देने में नाकाम रहने वाले 1,011 लेखा परीक्षकों और ऑडिट कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की है।
प्राधिकरण ने कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय को कंपनी कानून के तहत नियमों का अनुपालन नहीं करने वाली इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की है।
एनएफआरए नियमों के तहत एक निश्चित श्रेणी के अंतर्गत आने वाले कंपनियों के लेखा परीक्षकों/ऑडिट कंपनियों को एक निर्धारित फॉर्म … एनएफआरए …2 में नियामक के पास वार्षिक रिटर्न दाखिल करना आवश्यक है। फाइलिंग हर साल 30 नवंबर को या उससे पहले करनी होती है।
रिपोर्टिंग अवधि वित्त वर्ष 2018-19 के लिये नियत तारीख को सितंबर 2020 तक बढ़ा दिया गया था।
बृहस्पतिवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार एनएफआर ने मार्च 2021 में 2018-19 की अवधि के लिए उपरोक्त सांविधिक जरूरतों का अनुपालन न करने के मामलों की पहचान की।
एनएफआरए ने ऐसी गलती करने वाली लेखापरीक्षा फर्मों को सूचना भेजी थी और नियमों के बारे में जागरूकता पैदा करने में भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) के सहयोग की भी मांग की थी।
विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘हालांकि, अभी भी ऑडिट कंपनियां सांवधिक दायित्वों का पालन नहीं कर रही हैं।’’

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देश की खबरें | भाजपा के साथ गठबंधन नहीं होने पर उत्तरप्रेदश में अपने बूते पर चुनाव लड़ सकता है जदयू

पटना, 30 सितंबर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) (जदयू) ने बृहस्पतिवार को स्पष्ट किया कि वह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ना पसंद करेगी, लेकिन ऐसा नहीं होने पर वह अपने बुते चुनावी समर में उतरने से नहीं कतराएगी।
जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के संबंध में अपनी पार्टी की रणनीति पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘‘निस्संदेह हम वहां लड़ने जा रहे हैं। बेशक हम भाजपा के साथ गठबंधन करना पसंद करेंगे। लेकिन, अगर ऐसा नहीं होता है, तो हम अकेले जाने का विकल्प चुन सकते हैं।’’
बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन में भागीदार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उत्तरप्रदेश में सत्ता में है और यहां उसने पांच साल पहले विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की थी। पार्टी ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी शानदार प्रदर्शन किया था।
जदयू हालांकि बिहार और राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का सहयोगी है लेकिन अन्य राज्यों में इनका गठबंधन नहीं बन पाया है। जदयू ने गुजरात में भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
जदयू ने अरुणाचल प्रदेश में कुछ सफलता हासिल कर मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में वहां आयी थी, लेकिन सत्ता में आयी भाजपा ने हाल ही में पूर्वोत्तर राज्य में जदयू के कई विधायकों को अपने दल में शामिल कर लिया।
अगले महीने बिहार की दो विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में जदयू की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर कुशवाहा ने कहा, ‘‘हमें किसी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ता है। कुशेश्वर अस्थान और तारापुर दोनों ही हमारी सीटें थीं और सत्ताधारियों के दुखद निधन पर खाली हो गईं। हमारी जीत निश्चित है। हम केवल यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि जीत का अंतर बड़ा हो।’’

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जरुरी जानकारी | विपुल राय ने आईईईएमए के अध्यक्ष का कार्यभार संभाला

नयी दिल्ली, 30 सितंबर उद्योग संगठन आईईईएमए (इंडियन इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स मैनुफैक्चरर्स एसोसएिशन) ने बृहस्पतिवार को कहा कि विपुल राय ने तत्काल प्रभाव से अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाल ली है।
उन्होंने अनिल साबू का स्थान लिया है।
आईईएमए ने एक बयान में कहा, ‘‘विपुल राय 2021-22 के लिये आईईएमए के नये अध्यक्ष चुने गये हैं। रोहित पाठक वरिष्ठ उपाध्यक्ष तथा हमजा अरसीवाला उपाध्यक्ष होंगे।’’
इस मौके पर राय ने कहा कि देश इस समय ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव के दौर में है। ऐसे में भारतीय इलेक्ट्रिकल और संबद्ध इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिये काफी अवसर मौजूद हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं और मेरी टीम मजबूत और गतिशील भारतीय इलेक्ट्रिक उपकरण उद्योग के निर्माण की दिशा में काम करेगी…।’’

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जरुरी जानकारी | ‘देश के जिला अस्पतालों में प्रति एक लाख आबादी पर 24 बिस्तरें, पुडुचेरी सबसे आगे, बिहार सबसे पीछे’

नयी दिल्ली, तीस सितंबर देश में जिला अस्पतालों में प्रति एक लाख आबादी पर औसतन 24 बिस्तरें हैं। इसमें पुडुचेरी में जिला अस्पतालों में सर्वाधिक औसतन 222 बिस्तरे उपलब्ध हैं वहीं बिहार में सबसे कम छह बिस्तरे हैं। नीति आयोग की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
आयोग की ‘जिला अस्पतालों के कामकाज में बेहतर गतिविधियों’ पर रिपोर्ट में कहा गया है कि बिस्तरों की उपलब्धता, चिकित्सा और इलाज में डॉक्टर की मदद करने वाले चिकित्साकर्मियों (पैरामेडिकल) की संख्या, जांच सुविधाएं जैसे संकेतकों के आधार पर 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 75 जिला अस्पतालों का प्रदर्शन काफी बेहतर है।
इसमें कहा गया है, ‘‘प्रदर्शन से जुड़े प्रमुख संकेतकों के आधार पर प्रति एक लाख की आबादी पर कार्यरत अस्पतालों में बिस्तरों की औसतन संख्या 24 है…।’’
भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक (आईपीएचएस) 2012 दिशानिर्देश के तहत जिला अस्पतालों को प्रति एक लाख आबादी पर कम से कम 22 बिस्तर की सिफारिश की गयी है। यह सिफारिश 2001 की जनगणनना के औसत जिला जनसंख्या पर आधारित है।
प्रदर्शन आकलन में कुल 707 जिला अस्पताल शामिल हुएं। इसके लिये वर्ष 2017-18 के स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) के आंकड़ों को आधार बनाया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘देश में पुडुचेरी में बिस्तरों की औसतन संख्या सर्वाधिक है। केंद्रशासित प्रदेश के जिला अस्पताल में प्रति एक लाख आबादी पर 222 बिस्तर हैं। जबकि बिहार में प्रति एक लाख आबादी पर सबसे कम छह बिस्तरे उपलब्ध हैं।’’
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 707 जिला अस्पतालों में कुल 101 ने सभी क्रियात्मक विशेषताओं वाले 14 मानदंडों को पूरा किया।
इसमें कहा गया है कि तमिलनाडु में सभी क्रियात्मक विशेषताओं वाले अस्पतालों का अनुपात सबसे अधिक था। इसके बाद कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और केरल का स्थान है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जिला अस्पतालों में प्रति एक लाख की आबादी पर एक से 408 बिस्तरें हैं।
नीति आयोग के अनुसार 217 जिला अस्पतालों में प्रति एक लाख आबादी पर कम-से-कम 22 बिस्तरें पाये गये। यह पाया गया कि जिन जिलों में आबादी कम है, वहां बुनियादी ढांचा से संबद्ध प्रदर्शन से जुड़े प्रमुख संकेतकों की स्थिति बेतहर है।
रिपोर्ट स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ इंडिया) के सहयोग से तैयार की गयी है।
देश में जिला अस्पतालों की संख्या 800 से अधिक हैं। ये अस्पताल लोगों को महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं।

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देश की खबरें | प्रत्येक नागरिक की सुरक्षित, विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने की जरूरत: पॉल

नयी दिल्ली, 30 सितंबर नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल ने बृहस्पतिवार को सेहतमंद समाज के निर्माण में जिला अस्पतालों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि उन्नत माध्यमिक देखभाल प्रदान करने में उनकी अहम भूमिका के बावजूद, “दुर्भाग्य से कुछ कमियां भी हैं।”
नीति आयोग ने आज भारत में जिला अस्पतालों के प्रदर्शन मूल्यांकन की रिपोर्ट जारी की, जिसका शीर्षक “जिला अस्पतालों के कामकाज में अपनाये जा रहे तौर-तरीके” है। पॉल ने कहा कि “सभी के लिए स्वास्थ्य” को एक वास्तविकता बनाने के लिए प्रत्येक नागरिक की सुरक्षित तथा विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने की जरूरत है।
एक सरकारी बयान में कहा गया, “डॉ वी के पॉल ने स्वस्थ समाज के निर्माण में जिला अस्पतालों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया, जो स्वास्थ्य सेवाओं की एक व्यापक पहुंच प्रदान करते हैं और एक बड़ी आबादी की सभी ज़रूरतों को पूरा करते हैं।”
बयान में पॉल के हवाले से कहा गया है कि नीति आयोग द्वारा किया गया जिला अस्पतालों का प्रदर्शन मूल्यांकन उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
नीति आयोग के सदस्य ने कहा, “उन्नत माध्यमिक देखभाल प्रदान करने में उनकी (जिला अस्पतालों की) महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, दुर्भाग्य से कुछ कमियां भी हैं, चाहे वह मानव संसाधनों की कमी हो, क्षमता, उपयोग और सेवा में वृद्धि की बात हो।”
इस रिपोर्ट को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन की भारतीय इकाई ने आपसी सहयोग से तैयार किया है।

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देश की खबरें | यौन उत्पीड़न मामला: अधिकारी को कोर्ट मार्शल के लिए वायुसेना के हवाले किया गया

कोयंबटूर, 30 सितंबर यहां वायुसेना प्रशासनिक कॉलेज में कथित यौन उत्पीड़न की शिकार 28 वर्षीय महिला वायुसेना अधिकारी ने वायुसेना प्राधिकारियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। वहीं, एक स्थानीय अदालत के निर्देश के बाद बृहस्पतिवार को यौन उत्पीड़न के आरोपी वायुसेना के अधिकारी को कोर्ट मार्शल के लिए वायुसेना के हवाले कर दिया गया।
यहां की अतिरिक्त महिला अदालत ने पुलिस को आरोपी अधिकारी अमितेश हरमुख को वायुसेना के हवाले करने का निर्देश दिया। बाद में आरोपी को पेशी पर लायी पुलिस ने हरमुख को वायुसेना के हवाले कर दिया।
वायुसेना ने अदालत में एक याचिका दायर की थी कि स्थानीय पुलिस को अधिकारी को गिरफ्तार करने का कोई अधिकार नहीं है और केवल रक्षा अदालत ही वह अधिकार क्षेत्र है जहां कोर्ट मार्शल किया जा सकता है और इसलिए आरोपी को वायुसेना को सौंपा जाए।
इससे पहले दिन में महिला अधिकारी ने आरोप लगाया कि उसे प्रतिबंधित उंगली परीक्षण से गुजरना पड़ा और आरोपी फ्लाइट लेफ्टिनेंट के खिलाफ शिकायत वापस लेने के लिये भी उस पर दबाव डाला गया।
कॉलेज कमांडेंट सहित भारतीय वायुसेना के अधिकारियों द्वारा 10 सितंबर को हुई घटना पर 20 सितंबर तक कार्रवाई करने में विफल रहने के बाद महिला अधिकारी ने महिला पुलिस थाने में शिकायत दी जिसके आधार पर पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी में आरोपों का उल्लेख किया गया।
महिला ने यह भी आरोप लगाया कि दुष्कर्म का पता लगाने के लिए वायु सेना अस्पताल में उसका ‘टू-फिंगर टेस्ट’ किया गया, जिसे कुछ साल पहले उच्चतम न्यायालय ने प्रतिबंधित कर दिया था।
पुलिस ने 25 सितंबर को आरोपी अमितेश हरमुख को गिरफ्तार किया था और फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में है।
दुष्कर्म पीड़िता और आरोपी दोनों ही छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं। वे एक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का हिस्सा थे और नौ सितंबर की रात ऑफिसर्स मेस में एक पार्टी में शामिल हुए थे।
महिला अधिकारी ने अपनी शिकायत में कहा कि यह घटना अगले दिन तड़के उस समय हुई जब वह अपने पैर की चोट के लिए दवा खाकर सो रही थी और नशे में धुत अधिकारी ने उसके साथ मारपीट की और अपने दो सहकर्मियों को घटना के बारे में बताया। महिला ने तीनों की बातचीत रिकॉर्ड कर ली।
पीड़िता ने घटना को लेकर एक विंग कमांडर से संपर्क किया और एक महिला विंग कमांडर के साथ कमरे में आई, जिसने उसे परिवार के नाम और सम्मान सहित भविष्य के बारे में सोचने की सलाह दी, जिसके आधार पर उसने उसकी एक दोस्त को बताया कि वह कोई शिकायत दर्ज कराने नहीं जा रही।
हालांकि, जब दोनों विंग कमांडरों ने फिर से उससे संपर्क किया और कहा कि या तो वह शिकायत दर्ज कराए या लिखित रूप में दे कि मामला आपसी सहमति का था, तब महिला ने हिम्मत जुटाई और अस्पताल में शाम को उंगली परीक्षण के बीच शिकायत दर्ज करने का फैसला किया।
प्राथमिकी के मुताबिक, पीड़िता ने आगे कहा कि उसने दो महिला डॉक्टरों को वह गद्दा सौंप दिया था जिसमें वीर्य के निशान थे।
पुलिस ने कहा कि दो वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जांच रिपोर्ट निगेटिव आने की ‘गलत’ सूचना देने के बाद, कमांडेंट ने उसे लिखित रूप में मामला वापस लेने के लिए बोला और कहा कि अगर मामले को आगे बढ़ाया जाता है तो इसे मीडिया में दिखाया जाएगा तथा वायु सेना और उसे बदनाम किया जाएगा।
महिला अधिकारी हालांकि 20 सितंबर को शहर के पुलिस आयुक्त कार्यालय गई और वहां से महिला थाने में मामला दर्ज किया गया।
संपर्क किये जाने पर वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने का अनुरोध करते हुए इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया क्योंकि मामला अदालत में हैं और संवेदनशील है।

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खेल की खबरें | प्लेऑफ में पहुंचना बहुत मायने रखता है : धोनी

शारजाह, 30 सितंबर चेन्नई सुपर किंग्स ने 11वीं बार इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) प्लेऑफ में जगह बनायी है लेकिन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का मानना है कि इस बार का प्रदर्शन अधिक मायने रखता है क्योंकि पिछले साल टीम पहली बार इस मुकाम पर पहुंचने में नाकाम रही थी।
चेन्नई ने सनराइजर्स हैदराबाद को छह विकेट हराकर प्लेऑफ में प्रवेश किया। उसके 11 मैचों में 18 अंक हो गये हैं।
धोनी ने मैच के बाद कहा, ‘‘यह (प्लेऑफ में पहुंचना) बहुत मायने रखता है क्योंकि पिछली बार मैच के बाद मैंने कहा था कि हम मजबूत वापसी करना चाहते है। हमें उससे सबक मिला था। खिलाड़ियों और सहयोगी स्टाफ को पूरा श्रेय जाता है।’’
सनराइजर्स पर जीत का श्रेय उन्होंने गेंदबाजों को दिया जिन्होंने विरोधी टीम को सात विकेट पर 134 रन ही बनाने दिये।
धोनी ने कहा, ‘‘यह ऐसा विकेट नहीं था जिस पर गेंद अधिक टर्न ले रही हो या रुककर आ रही हो। गेंदबाजों ने अपनी गति और लेंथ में अच्छी तरह से बदलाव किया। मैच से पहले मैंने यही बात की थी और उन्होंने रणनीति पर अच्छी तरह से अमल किया।’’
सनराइजर्स के कप्तान केन विलियमसन ने कहा कि यदि उनके बल्लेबाजों ने जिम्मेदारी संभाली होती और अच्छे रन बनाये होते तो परिणाम भिन्न होता।
विलियमसन ने कहा, ‘‘हमने पर्याप्त रन नहीं बनाये थे। इसके बावजूद हमने कड़ी टक्कर दी। पावरप्ले के आखिर में हमारा स्कोर 40 रन के करीब था। निचले मध्यक्रम के बल्लेबाजों की मदद से हम थोड़ा सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें देखना होगा कि मैच कैसे जीतने है। चेन्नई ने अच्छा खेल दिखाया लेकिन आखिर में हम 10-15 रन पीछे रह गये। फिर से हमारे नाम पर जीत दर्ज नहीं हो पायी।’’
जोश हेजलवुड ने 24 रन देकर तीन विकेट लिये और उन्हें मैन आफ द मैच चुना गया।

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