देश की खबरें | शिवसेना नेता ने दी ‘अजान’ प्रतियोगिता आयोजित करने की सलाह, भाजपा ने आलोचना की

मुंबई, 30 नवंबर शिवसेना के एक नेता द्वारा ‘अजान’ की तुलना ‘आरती’ से करने और मुस्लिम बच्चों के लिए ‘अजान’ देने की प्रतियोगिता के आयोजन की सलाह पर एक नया विवाद पैदा हो गया है।
भाजपा ने सोमवार को उद्धव ठाकरे नीत पार्टी पर सत्ता में बने रहने के लिए अपना रुख बदलने का आरोप लगाया।
यह भी पढ़े | Dev Deepawali 2020: पीएम मोदी ने काशी से देश व दुनिया को शांति और सौहार्द का दिया संदेश.
महाराष्ट्र में महा विकास अघाडी सरकार में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस शामिल हैं।
शिवसेना के नेता पांडुरंग सकपल ने एक उर्दू समाचार वेबसाइट को दिए एक साक्षात्कार के दौरान यह टिप्पणी की।
यह भी पढ़े | दिल्ली: पीएम मोदी और उनकी सरकार के सिखों से खास रिश्ते’ पर आधारिक पुस्तक का विमोचन: 30 नवंबर 2020 की बड़ी खबरें और मुख्य समाचार LIVE.
सकपल को इस साक्षात्कार में यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वह दक्षिणी मुंबई में एक मुस्लिम कब्रिस्तान के निकट रहते हैं और उन्हें ‘अजान’ सुनना अच्छा लगता है।
सकपल ने इस वेबसाइट से कहा, ‘‘ भगवदगीता गायन की प्रतियोगिता होती है। मैंने अपने सहकर्मी शकील अहमद से बच्चों के लिए ‘अजान’ प्रतियोगिता का आयोजन करने के लिए कहा है। मैं महसूस करता हूं कि यह ‘आरती’ की तरह है। दिवंगत बालासाहेब ठाकरे किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं थे और मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे सभी समुदायों को साथ लेकर चलते हैं।’’
इस बारे में जब सकपल से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि उनकी टिप्पणी को गलत तरीके से पेश किया गया। उन्होंने पूछा कि कोई हर टिप्पणी को धर्म के चश्मे से कैसे देख सकता है।
भाजपा के विधान पार्षद और विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण डारेकर ने कहा कि सकपल की टिप्पणी इस बात को बखूबी बयां करती है कि पार्टी सत्ता में रहने के लिए अपना रुख बदल सकती है। भाजपा विधायक अतुल भटकाल्कर ने कहा कि शिवसेना पूर्व में हमेशा सड़क पर ‘नमाज’ अदा करने के खिलाफ रही है।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

Dev Deepawali 2020: पीएम मोदी ने काशी से देश व दुनिया को शांति और सौहार्द का दिया संदेश

Dev Deepawali 2020: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सोमवार को काशी से देश और दुनिया को भारतीय संस्कृति के साथ शांति और सौहार्द का भी संदेश दिया.  सच तो यह है कि बुद्ध के प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ का दर्शन मोदी का चीन की विस्तारवादी और युद्धोन्मादी रणनीति को करारा जवाब है.  विशेषज्ञों का कहना है कि चीन से हर तरह का मोर्चा लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की रणनीति कारगर साबित हो रही है.  चाहे वह सीमा पर सैन्य रणनीति हो या फिर दुनिया में भगवान बुद्ध के उपदेश के जरिए विश्व शांति का संदेश देना, मोदी हर मोर्चे पर कामयाब हो रहे हैं. दुनियाभर के विशेषज्ञ प्रधानमंत्री के सारनाथ आने के अंतर्राष्ट्रीय निहितार्थ निकाल रहे हैं.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार राजनीतिक विभाग के प्रोफेसर तेज प्रताप सिंह का कहना है कि ऐसा देखा जाता है भारत और चीन के मध्य बुद्धिस्म को लेकर प्रतिद्वंद्विता चल रही है। चीन का तर्क है कि बुद्ध धर्म को मानने वाले सबसे अधिक चीन में रहते हैं, इसलिए बौद्ध धर्म पर चीन का अधिकार है.  केवल बुद्ध के भारत में पैदा भर होने से भारत का कोई अधिकार नहीं हो सकता। जनगणना के अनुसार, बुद्ध धर्म के मानने वालों की संख्या बढ़ने के बजाय वैश्विक स्तर पर घट रहे हैं। दूसरी तरफ, भारत का मानना है कि भगवान बुद्ध के पैदा होने से से लेकर प्रथम उपदेश तक भारत में हुआ है. यह भी पढ़े: Dev Deepawali 2020: देव दीपावली उत्‍सव में शामिल होने के लिए वाराणसी पहुंचे पीएम मोदी ने कहा- हमारे लिए विरासत का मतलब देश की धरोहर

उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच यह सांस्कृतिक लड़ाई भी है और दोनों देशों में बौद्ध धर्म का नेतृत्व करने की प्रतिस्पर्धा भी है। भारत और चीन की लड़ाई में बुद्ध धर्म भी एक शस्त्र के रूप में हो गया है.  इसका फायदा भारत को बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली में प्रधानमंत्री के आने से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिलेगा.

सारनाथ के जम्बूदीप श्रीलंका बुद्धिस्ट मंदिर के अध्यक्ष डॉ. के. सिरी सुमेधा थेरो का मानना है कि भगवान बुद्ध को देश-दुनिया में बहुत से मानने वाले हैं। बुद्ध के प्रथम प्रवचन स्थल पर प्रधानमंत्री जाएंगे तो बौद्ध धर्म के मानने वाले खुश होंगे। थेरो ने कहा कि भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थल पर प्रधानमंत्री आशीर्वाद लेंगे, तो यह संदेश पूरे विश्व में जाएगा.  थेरो का मानना है कि राजा हमेशा अनुग्रह और मदद देते है। सम्राट अशोक, राजा हर्षवर्धन, कनिष्ठ ने बौद्ध धर्म को बहुत कुछ दिया है और अब प्रधानमंत्री गए तो जरूर बौद्ध धर्म को लाभ होगा.

हालांकि थेरो भारत और चीन के संबंध को पुराने और प्रगाढ़ मानते हुए कहते हैं, थोड़ी समस्या है जो जल्दी समाप्त हो जाएगी। बुद्ध धर्म में आस्था रखने वाले देश जापान ने बौद्धधर्म की उत्पत्ति वाले देश भारत में बौद्ध भिक्षु होजो सासाकी ने अपने संस्था धर्मचक्र इंडो-जापान बुद्धिस्ट कल्चरल सोसाइटी ने सारनाथ में जापानी बौद्ध मंदिर का निर्माण 1989 मे कराया था। इसके वर्तमान में अध्यक्ष 70 वर्षीय म्योजित्सू नागाकूबो हैं, जो समाजसेविका भी हैं। बच्चों को पढ़ाने के साथ जरूरतमंदों की मदद भी करती हैं. उनका मानना है कि बुद्ध धर्म हिंदू धर्म की तरह ही एक जीवनशैली है, जिसकी जड़ें भारत में हैं.

उन्होंने कहा कि भारत से ही निकलकर यह विश्वभर में फैला है. पूरे विश्व के सामने शांति-सौहार्द बनाए रखना एक चुनौती है। इसमें सारनाथ से दिए गए बुद्ध के उपदेश मील का पत्थर साबित हो सकते हैं. मोदी के सारनाथ आगमन से एक बार फि विश्व में शांति और सौहार्द का संदेश काफी मजबूती से जाएगा.

देश की खबरें | कश्मीर में पारा शून्य से नीचे लुढ़का, तमिलनाडु व केरल में भारी बारिश के आसार

नयी दिल्ली, 30 नवंबर कश्मीर में पारा शून्य से नीचे चले जाने के बीच उत्तर भारत के कई हिस्सों में सोमवार को न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज किया गया। दिल्ली में नवंबर का महीना 71 साल में सबसे सर्द रहा। उधर, आईएमडी ने तूफान के अनुमान के मद्देनजर दक्षिणी तमिलनाडु व केरल में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बताया कि बंगाल की खाड़ी के ऊपर सोमवार को कम दबाव का क्षेत्र बना और इसके गहरे कम दबाव के क्षेत्र में तब्दील होने का अनुमान है। आगे जाकर यह चक्रवाती तूफान का रूप ले सकता है। इस वजह से दो और तीन दिसंबर के बीच दक्षिणी तमिलनाडु और दक्षिणी केरल में भारी बारिश का अंदेशा है।
यह भी पढ़े | दिल्ली: पीएम मोदी और उनकी सरकार के सिखों से खास रिश्ते’ पर आधारिक पुस्तक का विमोचन: 30 नवंबर 2020 की बड़ी खबरें और मुख्य समाचार LIVE.
आईएमडी ने बताया कि तूफान दो दिसंबर की शाम या रात में श्रीलंका के तट को पार कर सकता है।
विभाग ने अपने ताजा बुलेटिन में कहा कि इसके प्रभाव से तमिलनाडु, पुडुचेरी, कराईकल, केरल, माहे, लक्षद्वीप, आंध्र प्रदेश में एक से चार दिसंबर के बीच बारिश होने के आसार हैं।
यह भी पढ़े | Shehla Rashid: जेएनयू की पूर्व छात्र शहला राशिद के पिता ने लगाए गंभीर आरोप, बेटी के NGO के खिलाफ जांच की मांग की.
कुछ दिन पहले ही तमिलनाडु और पुडुचेरी से चक्रवाती तूफान निवार गुजरा था, जिससे भारी बारिश हुई थी।
राष्ट्रीय राजधानी में नवंबर का महीना 71 वर्ष में सबसे सर्द रहा। औसत न्यूनतम तापमान 10.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
आईएमडी के मुताबिक, 1949 के नवंबर में औसत न्यूनतम तापमान 10.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।
आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, 1938 के नवंबर में औसत न्यूनतम तापमान 9.6 डिग्री सेल्सियस, 1931 में नौ डिग्री सेल्सियस और 1930 में 8.9 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था।
आम तौर पर नवंबर का औसत न्यूनतम तापमान 12.9 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया जाता है।
पिछले साल नवंबर का औसत न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस, 2018 में 13.4 डिग्री सेल्सियस, 2017 तथा 2016 में 12.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।
वहीं राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता ‘अत्यंत खराब’ श्रेणी में लुढ़क गई तथा तापमान के गिरने और हवा की गति मंद पड़ने के कारण इसके और खराब होने की आशंका है।
आईएमडी के मुताबिक, शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 307 दर्ज किया गया।
रविवार को 24 घंटे का औसत एक्यूआई 268 था, शनिवार को यह 231, शुक्रवार को 137, बृहस्पतिवार को 302 और बुधवार को एक्यूआई 413 दर्ज किया गया था।
दिल्ली का न्यूनतम तापमान सोमवार को 6.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। यह इस महीने में आठवां दिन था जब न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज किया गया।
कश्मीर घाटी में विभिन्न स्थानों पर रात का तापमान शून्य से नीचे दर्ज किया गया। अधिकारियों ने बताया कि श्रीनगर में न्यूनतम तापमान शून्य से 1.3 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा।
उन्होंने बताया कि उत्तरी कश्मीर के बारामूला के मशहूर पर्यटन स्थल गुलमर्ग में तापमान शून्य से तीन डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया जबकि अनंतनाग जिले के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पहलगाम का तापमान शून्य से 2.3 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा।
केंद्रशासित प्रदेश में गुलमर्ग सबसे ठंडा स्थान रहा।
राजस्थान के अधिकतर हिस्सों में रात के तापमान में और गिरावट के बाद ठंड बढ़ गई है।
मौसम विभाग के अनुसार, रविवार रात माउंट आबू में न्यूनतम तापमान दो डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
वहीं मैदानी भागों में चुरू में न्यूनतम तापमान 5.5 डिग्री, सीकर में 6.0 डिग्री, पिलानी में 7.1 डिग्री, भीलवाड़ा में 8.0 डिग्री, एरन रोड में 8.8 डिग्री, गंगानगर में 9.1 डिग्री एवं अजमेर में 9.8 डिग्री सेल्सियस रहा।
हरियाणा और पंजाब में सोमवार को न्यूनतम तापमान सामान्य के आसपास रहा।
आईएमडी ने बताया कि दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी चंडीगढ़ में न्यूनतम तापमान 9.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
हरियाणा के अंबाला में न्यूनतम तापमान 7.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया और करनाल में आठ डिग्री सेल्सियस रहा।
पंजाब के अमृतसर में न्यूनतम पारा छह डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से एक डिग्री अधिक था।
लुधियाना में न्यूनतम तापमान 7.6 डिग्री सेल्सियस रहा और पटियाला में 8.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
हिमाचल प्रदेश में मौसम शुष्क रहा और मौसम विभाग का अनुमान है कि मौसम छह दिसंबर तक शुष्क रहेगा।
लाहौल और स्पीति के प्रशासनिक केंद्र केलांग प्रदेश का सबसे सर्द इलाका रहा जहां न्यूनतम तापमान शून्य से 2.6 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

देश की खबरें | भारत ने स्टार्टअप, नवाचार पर एससीओ कार्य समूह बनाने के प्रस्ताव पेश किये

नयी दिल्ली, 30 नवम्बर भारत ने आर्थिक, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक क्षेत्रों में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के बीच सहयोग को मजबूत बनाने के प्रस्ताव सोमवार को पेश किये। इनमें स्टार्टअप और नवाचार पर कार्य समूह बनाने के साथ-साथ पारंपरिक चिकित्सा पर सहयोग भी शामिल हैं।
एससीओ के सदस्य देशों के शासनाध्यक्षों की परिषद की ऑनलाइन बैठक को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि भारत ने स्टार्टअप और नवोन्मेष (इनोवेशन) पर एक विशेष कार्य समूह बनाने का प्रस्ताव रखा है।
यह भी पढ़े | दिल्ली: पीएम मोदी और उनकी सरकार के सिखों से खास रिश्ते’ पर आधारिक पुस्तक का विमोचन: 30 नवंबर 2020 की बड़ी खबरें और मुख्य समाचार LIVE.
नायडू ने बताया, ‘‘हमारा दूसरा प्रस्ताव एससीओ स्वास्थ्य मंत्रियों की वार्षिक बैठक के तहत पारंपरिक चिकित्सा पर एक विशेषज्ञ समूह बनाने का है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने आधुनिक चिकित्सा प्रणाली की सीमाओं को देखा है, जो कोविड-19 महामारी के वैश्विक प्रसार के कारण काफी दबाव में है। ऐसे में लाखों लोगों की जान बचाने के लिए पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों ने प्रभावी और कम लागत का विकल्प प्रदान करने में महत्वपूर्ण सहायक भूमिका निभाई है।’’
यह भी पढ़े | Shehla Rashid: जेएनयू की पूर्व छात्र शहला राशिद के पिता ने लगाए गंभीर आरोप, बेटी के NGO के खिलाफ जांच की मांग की.
एससीओ बैठक पर पत्रकार सम्मेलन में विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) विकास स्वरूप से जब पूछा गया कि क्या पाकिस्तान भारत द्वारा प्रस्तावित पहल में शामिल होगा, तो उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से पाकिस्तान पर निर्भर करता है।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत और दो अन्य सदस्यों पाकिस्तान तथा चीन के बीच द्विपक्षीय तनाव एससीओ के भीतर सहयोग को प्रभावित कर रहा है, तो स्वरूप ने कहा कि समूह की स्थापना आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की चुनौतियों से निपटने के लिए शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने के वास्ते एक क्षेत्रीय संगठन के रूप में की गयी थी।
स्वरूप ने कहा, ‘‘यदि सदस्य देशों में इच्छाशक्ति हो तो मुझे विश्वास है कि हम सभी एक मंच पर आ सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि भारत ने दिल्ली में 2021 में ‘एससीओ फूड फेस्टिवल’ आयोजित करने का भी प्रस्ताव रखा है।
स्वरूप ने कहा कि एससीओ क्षेत्र की साझा सांस्कृतिक पहचान बनाने की दिशा में आगे बढ़ना इन प्रस्तावों की सोच है। उन्होंने कहा कि भारत शंघाई सहयोग संगठन के सदस्यों के बीच सहयोग को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

पाकिस्तान में स्तन कैंसर की दर पूरे एशिया में सबसे अधिक, हर साल इससे 40 हजार महिलाओं की मौत- रिपोर्ट

इस्लामाबाद: एशिया में पाकिस्तान (Pakistan)  में स्तन कैंसर की दर सबसे अधिक है, क्योंकि हर साल लगभग 90,000 महिलाएं इस बीमारी से ग्रसित होती है, जिनमें से 40,000 की मौत हो जाती है.  एक मीडिया रिपोर्ट में सोमवार को यह जानकारी दी गई.  डॉन न्यूज रिपोर्ट में कहा गया कि इसका खुलासा एक वेबिनार ‘ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस : गिव होप, सेव लाइव्स’ में वक्ताओं द्वारा किया गया था, जिसका आयोजन दक्षिण (कॉमसैट्स) में सतत विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी आयोग द्वारा किया गया था।

अनुमान के मुताबिक, 10 में से एक पाकिस्तानी महिला को स्तन कैंसर हो सकता है.  सेवानिवृत्त राजदूत फौजिया नसरीन, जो कि कॉमसैट्स की सलाहकार भी हैं, ने उन उपायों के महत्व पर जोर दिया जिन्हें समाज में कैंसर से संबंधित भय, जानकारी के अभाव को दूर करने उचित सुविधाओं, परिवार का समर्थन पाने के लिए उठाए जाने की जरूरत है. यह भी पढ़े: National Cancer Survivors Day 2019: समय रहते पहचान लीजिए कैंसर के ये सामान्य लक्षण, जानें कैसे शरीर में फैलती है यह गंभीर बीमारी

स्वास्थ्य सेवा अकादमी में पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पाकिस्तान में सलाहकार समीना नईम ने बीमारी से संबंधित रूढ़ियों और वर्जनाओं को हटाने पर जोर दिया.

देश की खबरें | प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर किसानों को ‘बरगलाने’ का आरोप लगाया, राहुल गांधी ने किया पलटवार

वाराणसी/नयी दिल्ली, 30 नवंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को एक बार फिर विपक्षी दलों पर नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों को ”बरगलाने” और ”नए हथकंडे” अपनाने का आरोप लगाया। वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि लाए गए नए कृषि कानून केवल प्रधानमंत्री के ”दो-तीन मित्रों” के फायदे के लिए हैं। इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्लीवासियों से प्रदर्शनकारी किसानों की सहायता का अनुरोध किया।
नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को कहा कि ‘‘छल का इतिहास रखने वाले लोग’’ नए ‘‘ट्रेंड’’के तहत पिछले कुछ समय से सरकार के फैसले पर भ्रम फैला रहे हैं।
यह भी पढ़े | Shehla Rashid: जेएनयू की पूर्व छात्र शहला राशिद के पिता ने लगाए गंभीर आरोप, बेटी के NGO के खिलाफ जांच की मांग की.
प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के खजूरी गांव में एक कार्यक्रम में कहा, ”पहले सरकार का कोई फैसला अगर किसी को पसंद नहीं आता था तो उसका विरोध होता था लेकिन बीते कुछ समय से हमें नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। अब विरोध का आधार फैसला नहीं, बल्कि भ्रम और आशंकाएं फैलाकर उनको आधार बनाया जा रहा है।”
उन्होंने कहा, ”दुष्प्रचार किया जाता है कि फैसला तो ठीक है लेकिन पता नहीं इससे आगे चलकर क्या-क्या होगा। फिर कहते हैं कि ऐसा होगा जो अभी हुआ ही नहीं है। जो कभी होगा ही नहीं, उसको लेकर समाज में भ्रम फैलाया जाता है। ऐतिहासिक कृषि सुधारों के मामले में भी जानबूझकर यही खेल खेला जा रहा है। हमें याद रखना है कि ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है।”
यह भी पढ़े | Farmers Protest: केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का बड़ा हमला, कहा- जिस वाड्रा-कांग्रेस ने किसानों की जमीनें हड़पीं, वो आज किसान हितैषी बने बैठे हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा, ”हम गंगाजल जैसी पवित्र नीयत से काम कर रहे हैं। आशंकाओं के आधार पर भ्रम फैलाने वालों की सच्चाई लगातार देश के सामने आ रही है। जब एक विषय पर इनका झूठ किसान समझ जाते हैं तो ये दूसरे विषय पर झूठ फैलाने में लग जाते हैं। चौबीसों घंटे उनका यही काम है। देश के किसान इस बात को भली-भांति समझते हैं।”
उन्होंने किसानों को आश्वस्त करते हुए कहा, ”जिन किसान परिवारों की अब भी कुछ चिंता है, कुछ सवाल हैं तो उनका जवाब भी सरकार निरंतर दे रही है, समाधान करने का भरपूर प्रयास कर रही है। आज जिन किसानों को कृषि सुधारों को लेकर कुछ शंकाएं हैं, वो भी भविष्य में इन सुधारों का लाभ पाकर अपनी आय बढ़ाएंगे, यह मेरा पक्का विश्वास है।”
उधर, कांग्रेस ने प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए सोमवार को सोशल मीडिया पर अभियान चलाया, जिसके तहत पार्टी नेता राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा और कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने सरकार पर निशाना साधा और लोगों से किसानों का साथ देने की अपील की।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फिर आग्रह किया कि इन तीनों ‘काले कानूनों’ को निरस्त किया जाए क्योंकि देश के करोड़ों किसान यही चाहते हैं।
राहुल गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं और आम लोगों से किसानों के पक्ष में खड़े होने की अपील करते हुए कहा कि यह ‘सत्य एवं असत्य की लड़ाई’, है जिसमें सभी को अन्नदाताओं के साथ होना चाहिए।
उन्होंने सवाल किया कि अगर ये कानून किसानों के हित में हैं तो फिर किसान सड़कों पर क्यों हैं?
कांग्रेस के ‘स्पीक अप फॉर फार्मर्स’ नामक सोशल मीडिया अभियान के तहत एक वीडियो जारी कर राहुल गांधी ने कहा, ‘‘देश का किसान काले कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ ठंड में अपना घर-खेत छोड़कर दिल्ली तक आ पहुंचा है। सत्य और असत्य की लड़ाई में आप किसके साथ खड़े हैं – अन्नदाता किसान या प्रधानमंत्री के पूंजीपति मित्र के साथ?’’
उन्होंने कहा, ‘‘देशभक्ति देश की शक्ति की रक्षा होती है। देश की शक्ति किसान है। सवाल यह है कि आज किसान सड़कों पर क्यों है? वह सैकड़ों किलोमीटर चलकर दिल्ली की तरफ क्यों आ रहा है? नरेंद्र मोदी जी कहते हैं कि तीन कानून किसानों के हित में हैं। अगर ये कानून किसानों के हित में है तो किसान इतना गुस्सा क्यों है, वह खुश क्यों नहीं है?’’
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘‘ये कानून मोदी जी के दो-तीन मित्रों के लिए हैं, किसान से चोरी करने के कानून हैं।’’
इस अभियान के तहत ट्वीट के माध्यम से प्रियंका गांधी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘नाम किसान कानून लेकिन सारा फायदा अरबपति मित्रों का। किसान कानून बिना किसानों से बात किए कैसे बन सकते हैं? उनमें किसानों के हितों की अनदेखी कैसे की जा सकती है? सरकार को किसानों की बात सुननी होगी। आइए मिलकर किसानों के समर्थन में आवाज उठाएं।’’
इस बीच, अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी के लोगों से नये कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की हरसंभव मदद करने की अपील की। उन्होंने केन्द्र से जल्द से जल्द किसानों के साथ वार्ता करने का भी आग्रह किया।
केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) के स्वयंसेवी और विधायक किसानों की हरसंभव मदद कर रहे हैं।
केजरीवाल ने गुरु पर्व के मौके पर एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘इस अवसर पर, मैं सभी दिल्लीवासियों से अपील करता हूं कि वे प्रदर्शनकारी किसानों के लिए हरसंभव तरीके से जो कुछ भी कर सकते हैं, करें।’’

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

Shehla Rashid: जेएनयू की पूर्व छात्र शहला राशिद के पिता ने लगाए गंभीर आरोप, बेटी के NGO के खिलाफ जांच की मांग की

जम्मू, 30 नवंबर. छात्रनेता और कार्यकर्ता शहला राशिद के पिता अब्दुल राशिद शोरा ने सोमवार को अपनी बेटी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए. शोरा ने बेटी के एनजीओ के खिलाफ जांच शुरू करने की मांग की और आरोप लगाया कि कश्मीर घाटी में राजनीति से जुड़ने के लिए शहला ने धन लिए थे. हालांकि, शहला ने अपने पिता द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को खारिज किया है.शहला ने अपने पिता के बयान को ‘आधारहीन और बकवास बताया’. शहला ने कहा कि घरेलू हिंसा के मामले में परिवार द्वारा दर्ज करायी गयी शिकायत के बाद एक अदालत ने 17 नवंबर को श्रीनगर आवास में उनके पिता के प्रवेश पर रोक लगा दी थी.

संवाददाता सम्मेलन में पुलिस महानिदेशक को संबोधित तीन पन्ने का एक पत्र जारी करते हुए शोरा ने दावा किया कि उन्हें अपनी बेटी शहला, उनके सुरक्षा गार्ड, बहन और उनकी मां से जान का खतरा है. शोरा ने दावा किया, ‘‘उसने (शहला) कश्मीर में राजनीति में शामिल होने के लिए पूर्व विधायक इंजीनियर राशिद और कारोबारी जहूर वताली से तीन करोड़ रुपये लिए थे.’’ आतंकवाद के वित्तपोषण में कथित संलिप्तता के लिए राशिद और वताली को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पिछल साल गिरफ्तार किया था. यह भी पढ़े | Taj Mahal के लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग पर ASI का नया नियम, अब एक बार में बड़ों के लिए 5 और बच्चों के लिए सिर्फ 3 टिकट ही करा सकेंगे बुक.

जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शहला राजनीति में शामिल हो गयी थीं और आइएएस टॉपर शाह फैसल द्वारा शुरू जेके पॉलिटिकल मूवमेंट की संस्थापक सदस्य बनी थीं. शोरा ने शहला द्वारा चलाए जाने वाले गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ), और अपनी बेटियों और उनकी मां के बैंक खातों की जांच की भी मांग की. हालांकि, इसके जवाब में शहला ने एक ट्वीट कर कहा, ‘‘आप में से कई लोगों ने मेरे पिता द्वारा मुझ पर, मेरी मां और बहन पर लगाए गए आरोपों का वीडियो देखा होगा. कम शब्दों में और स्पष्ट तौर पर कहूं तो वह अपनी पत्नी को पीटने वाले, गाली-गलौज करने वाले शख्स हैं. हमने उनके खिलाफ कदम उठाने का फैसला किया और इसके जवाब में उन्होंने यह हथकंडा अपनाया.’’

शहला राशिद ने आरोपों पर ट्वीट कर दिया ये बयान-

शहला ने आरोपों को ‘‘बेबुनियाद और बकवास’’ बताया. उन्होंने कहा, ‘‘मेरी मां ने जीवन भर काफी हिंसा, प्रताड़ना का सामना किया. वह परिवार के कारण चुप रह गयीं. अब हम उनकी (पिता) इस हरकत के खिलाफ बोलने लगे तो उन्होंने भी हमें बदनाम करना शुरू कर दिया।’’ शहला ने कहा कि किसी को भी उनके पिता द्वारा लगाए गए आरोपों को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए.

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

देश की खबरें | प्रदर्शनकारी किसानों ने ‘निर्णायक लड़ाई’ का संकल्प लिया, प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर हमला बोला

नयी दिल्ली, 30 नवंबर किसान नेताओं ने केंद्र की अपील को दरकिनार करते हुए सोमवार को कहा कि वे नए कृषि कानूनों के खिलाफ ‘‘निर्णायक लड़ाई’’ के लिए दिल्ली आए हैं और मांगें पूरी होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कानूनों का बचाव किया और विपक्षी दलों पर हमला बोलते हुए कहा कि वे सरकार के फैसले पर भ्रम फैला रहे हैं।
उधर, विपक्षी दलों ने सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है और कहा है कि केंद्र को किसानों के ‘‘लोकतांत्रिक संघर्ष का सम्मान’’ करना चाहिए तथा संबंधित कानूनों को निरस्त करना चाहिए।
यह भी पढ़े | Farmers Protest: केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का बड़ा हमला, कहा- जिस वाड्रा-कांग्रेस ने किसानों की जमीनें हड़पीं, वो आज किसान हितैषी बने बैठे हैं.
प्रदर्शनकारी किसानों के एक प्रतिनिधि ने सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।
भारतीय किसान यूनियन (दकौंडा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा, ‘‘हम अपनी मांगों से समझौता नहीं कर सकते।’’
यह भी पढ़े | COVID-19 Updates in Delhi: दिल्ली में कोरोना का कहर जारी, पिछले 24 घंटे के भीतर सामने आए 5,824 नए केस; कुल संख्या 5,70,374 पहुंची.
उन्होंने कहा कि यदि सत्तारूढ़ पार्टी उनकी चिंता पर विचार नहीं करती तो उसे ‘‘भारी कीमत’’ चुकानी होगी।
किसानों के प्रतिनिधि ने कहा, ‘‘हम यहां निर्णायक लड़ाई के लिए आए हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहेंगे और यहां से अपनी रणनीति बनाएंगे। हम प्रधानमंत्री से यह कहने के लिए दिल्ली आए हैं कि वह किसानों के ‘मन की बात’ सुनें, अन्यथा सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी को भारी कीमत चुकानी होगी…।’’
वहीं, भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि आंदोलन को ‘‘दबाने’’ के लिए अब तक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ लगभग 31 मामले दर्ज किए गए हैं।
चढूनी ने कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं हो जातीं, किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा।
उन्होंने दावा किया कि नए कृषि कानूनों से देश के कृषि व्यवसाय पर कॉरपोरेट घरानों का एकाधिकार हो जाएगा।
भारतीय किसान यूनियन उत्तर प्रदेश के महासचिव हरेंद्र नेहरा ने कहा कि नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने तक वे राष्ट्रीय राजधानी के पास यूपी गेट पर बैठे रहेंगे।
वहीं, यूपी गेट पर बैठे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा, ‘‘यदि हमारी मांगें नहीं मानी जाती हैं तो अगले गणतंत्र दिवस तक आंदोलन जारी रखने के लिए हमारे पास पर्याप्त राशन है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम बात करने के लिए दिल्ली के बुराड़ी में संत निरंकारी मैदान नहीं जाएंगे। हम सरकार से अपनी शर्तों पर राष्ट्रीय राजधानी के रामलीला मैदान में बात करेंगे।’’
भारतीय किसान यूनियन के उत्तर प्रदेश उपाध्यक्ष राजबीर सिंह ने कहा कि यूनियन से जुड़े किसानों ने सड़क पर एक अस्थायी तंबू लगाया है और इसे टिकैत के आवास में परिवर्तित किया गया है।
मुद्दे का कोई हल न निकलते देख कई केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा नेताओं ने किसानों से आग्रह किया कि वे कृषि सुधारों के बारे में ‘‘गलतफहमी’’ के शिकार न हों और नए कानूनों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तथा मंडियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नए कृषि कानूनों के मुद्दे पर विपक्षी दलों पर हमला करते हुए आज कहा कि ‘‘छल का इतिहास रखने वाले लोग’’ नए ‘‘ट्रेंड’’ के तहत पिछले कुछ समय से सरकार के फैसले पर भ्रम फैला रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी के खजूरी गांव में ‘छह लेन मार्ग चौड़ीकरण’ के लोकार्पण अवसर पर संबोधन में कहा, ”पहले सरकार का कोई फैसला अगर किसी को पसंद नहीं आता था तो उसका विरोध होता था लेकिन बीते कुछ समय से हमें नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। अब विरोध का आधार फैसला नहीं, बल्कि भ्रम और आशंकाएं फैलाकर उनको आधार बनाया जा रहा है।”
उन्होंने कहा, ”दुष्प्रचार किया जाता है कि फैसला तो ठीक है लेकिन पता नहीं इससे आगे चलकर क्या-क्या होगा। फिर कहते हैं कि ऐसा होगा जो अभी हुआ ही नहीं है। जो कभी होगा ही नहीं उसको लेकर समाज में भ्रम फैलाया जाता है। ऐतिहासिक कृषि सुधारों के मामले में भी जानबूझकर यही खेल खेला जा रहा है। हमें याद रखना है कि ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, ”हम गंगाजल जैसी पवित्र नीयत से काम कर रहे हैं। आशंकाओं के आधार पर भ्रम फैलाने वालों की सच्चाई लगातार देश के सामने आ रही है। जब एक विषय पर इनका झूठ किसान समझ जाते हैं तो ये दूसरे विषय पर झूठ फैलाने में लग जाते हैं। चौबीसों घंटे उनका यही काम है। देश के किसान इस बात को भली-भांति समझते हैं।”
उन्होंने किसानों को आश्वस्त करते हुए कहा, ”जिन किसान परिवारों की अब भी कुछ चिंता है, कुछ सवाल हैं तो उनका जवाब भी सरकार निरंतर दे रही है, समाधान करने का भरपूर प्रयास कर रही है। आज जिन किसानों को कृषि सुधारों को लेकर कुछ शंकाएं हैं, वो भी भविष्य में इन सुधारों का लाभ पाकर अपनी आय बढ़ाएंगे, यह मेरा पक्का विश्वास है।”
मोदी ने पिछली कांग्रेस नीत सरकारों पर प्रहार करते हुए कहा, ”एमएसपी तो घोषित होता था लेकिन एमएसपी पर खरीद बहुत कम की जाती थी। सालों तक एमएसपी को लेकर छल किया गया है। किसानों के नाम पर बड़े-बड़े कर्ज माफी के पैकेज घोषित किए जाते थे लेकिन वे छोटे और सीमांत किसानों तक पहुंचते ही नहीं थे। किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाएं घोषित होती थीं लेकिन वह खुद मानते थे कि एक रुपये में से सिर्फ 15 पैसे ही किसान तक पहुंचते हैं।”
उन्होंने किसी पार्टी का नाम लिए बगैर आरोप लगाया, ”पहले वोट के लिए वादा और फिर छल, यही खेल लंबे समय तक देश में चलता रहा। जब इतिहास छल का रहा हो, तब दो बातें बड़ी स्वाभाविक हैं। पहली यह कि किसान अगर सरकारों की बातों से कई बार आशंकित रहता है तो उसके पीछे दशकों का लंबा हल्का इतिहास है। दूसरी बात यह कि जिन्होंने वादे तोड़े, छल किया, उनके लिए यह झूठ फैलाना एक प्रकार से आदत बन गई है, लेकिन जब इस सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड देखोगे तो सच आपके सामने खुलकर आ जाएगा।”
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमने वादा किया था कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुरूप किसानों को लागत का डेढ़ गुना एमएसपी देंगे। यह वादा सिर्फ कागज पर नहीं, बल्कि हमने पूरा किया और इतना ही नहीं किसान के बैंक खाते तक पैसे पहुंचाने का प्रबंध किया।’’
मोदी ने कहा, ”सफल प्रकल्प ही काफी नहीं होता। किसानों को बड़े और व्यापक बाजार का लाभ भी मिलना चाहिए। हमारा देश दुनिया के बड़े बाजार हमारे किसानों को उपलब्ध कराता है, इसलिए विकल्प के माध्यम से किसानों को सशक्त करने का रास्ता अपनाया गया है किसान हित में किए गए कृषि सुधार ऐसे ही विकल्प किसानों को देते हैं।”
उन्होंने कहा, ”अगर कोई पुराने सिस्टम से ही लेन-देन को ठीक समझता है तो उसपर भी इस कानून में कहां कोई रोक लगाई गई है? नए कृषि सुधारों से किसानों को नए विकल्प और नए कानूनी संरक्षण ही तो दिए गए हैं।”
मोदी ने कहा, ”पहले तो मंडी के बाहर हुए लेन-देन ही गैरकानूनी माने जाते थे। ऐसे में छोटे किसानों के साथ अक्सर धोखा होता था, विवाद होते थे क्योंकि छोटा किसान तो मंडी पहुंच ही नहीं पाता था। अब ऐसा नहीं है। अब छोटे से छोटा किसान भी मंडी से बाहर हुए हर सौदे को लेकर कानूनी कार्यवाही कर सकता है, यानी किसान को अब नए विकल्प भी मिले हैं और उसे धोखे से बचाने के लिए कानूनी संरक्षण भी मिला है।”
उन्होंने नए कृषि कानूनों के तहत न्यूतनम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खत्म किए जाने की साजिश के विपक्ष के आरोप पर कहा, ”अगर हमें मंडियों और एमएसपी को ही हटाना होता तो हम इनपर इतना निवेश ही क्यों करते। हमारी सरकार मंडियों को मजबूत बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है।’’
उधर, कांग्रेस ने किसानों के समर्थन में सोशल मीडिया पर अभियान शुरू कर दिया और कहा कि उसके सदस्य प्रदर्शनकारियों की सहायता करेंगे। वहीं, द्रमुक और इसके सहयोगी दलों ने भी बयान जारी किया।
कांग्रेस के ‘स्पीक अप फॉर फार्मर्स’ नामक सोशल मीडिया अभियान के तहत एक वीडियो जारी राहुल गांधी ने कहा, ‘‘देश का किसान काले कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ ठंड में, अपना घर-खेत छोड़कर दिल्ली तक आ पहुंचा है। सत्य और असत्य की लड़ाई में आप किसके साथ खड़े हैं – अन्नदाता किसान या प्रधानमंत्री के पूंजीपति मित्र?’’
उन्होंने कहा, ‘‘देशभक्ति देश की शक्ति की रक्षा होती है। देश की शक्ति किसान है। सवाल यह है कि आज किसान सड़कों पर क्यों है? वह सैकड़ों किलोमीटर चलकर दिल्ली की तरफ क्यों आ रहा है? नरेन्द्र मोदी जी कहते हैं कि तीन कानून किसान के हित में है। अगर ये कानून किसान के हित में है तो किसान इनका गुस्सा क्यों है, वह खुश क्यों नहीं है?’’
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘‘ये कानून मोदी जी के दो-तीन मित्रों के लिए है, किसान से चोरी करने के कानून हैं।’’
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘हमें किसान की शक्ति के साथ खड़ा होना पड़ेगा। ये किसान जहां भी हैं उनके साथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं और आम जनता को खड़ा होना चाहिए। इनको भोजन देना चाहिए। इनकी मदद करनी चाहिए।’’
द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन, टीएनसीसी प्रमुख के एस अलागिरि, एमडीएमके महासचिव वाइको, माकपा के राज्य सचिव के. बालकृष्णन, भाकपा के राज्य सचिव आर मुथारसन तथा अन्य ने संयुक्त बयान जारी कर केंद्र के रुख की निन्दा की।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविनद केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों से अपील की कि वे प्रदर्शनकारियों की मदद करें और केंद्र से आग्रह किया कि वह किसानों के साथ जल्द से जल्द बात करे।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उम्मीद जताई कि केंद्र किसानों के साथ बातचीत में एमएसपी के बारे में उनके डर को दूर करने में सफल होगा।
राजस्थान के नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने केंद्र से तीनों कृषि कानूनों को तत्काल वापस लेने तथा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने की अपील की।
भाजपा नेता एवं केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कई ट्वीट कर कहा, ‘‘नए कृषि कानून कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएएमसी) मंडियों को समाप्त नहीं करते हैं। मंडियां पहले की तरह ही चलती रहेंगी। नए कानून ने किसानों को अपनी फसल कहीं भी बेचने की आज़ादी दी है। जो भी किसानों को सबसे अच्छा दाम देगा, वो फसल खरीद पायेगा चाहे वो मंडी में हो या मंडी के बाहर।’’
प्रसाद ने कहा, ‘‘कृषि विधेयक के संबंध में कई भ्रम फैलाए जा रहे हैं ,जैसे किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं देने के लिए कृषि विधेयक एक साजिश है, बल्कि सच्चाई यह है कि कृषि विधेयकों का न्यूनतम समर्थन मूल्य से कोई लेना- देना नहीं है, एमएसपी मूल्य मिलता रहा है और मिलता रहेगा।’’
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘नए कृषि कानून के अंतर्गत बड़ी कंपनियां ‘कॉन्ट्रैक्ट’ के नाम पर किसानों का शोषण नहीं कर पाएंगी। किसान बिना किसी जुर्माने के किसी भी समय ‘कॉन्ट्रैक्ट’ से बाहर निकल सकता है। ‘कॉन्ट्रैक्ट’ से किसानों को निर्धारित दाम पाने की गारंटी भी मिलेगी।’’
पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, “कृषि कानूनों के बारे में गलत धारणाएं नहीं रखें। पंजाब के किसानों ने मंडी में पिछले साल की तुलना में अधिक धान बेचा है और अधिक एमएसपी पर, एमएसपी कायम है और मंडी भी। और सरकारी खरीद भी हो रही है।’’
भाजपा नेता अनुराग ठाकुर ने कहा कि कृषि क्षेत्र में सुधार से किसानों के लिए लाभ और अवसरों में वृद्धि के नए अवसर खुल रहे हैं।
वहीं, आप के पूर्व नेता एवं अखिल भारतीय संघर्ष समन्वय समिति के राष्ट्रीय कार्यकारी समूह के सदस्य योगेंद्र यादव ने आरोप लगाया कि किसानों के आंदोलन के बारे में पांच झूठ फैलाए जा रहे हैं, जिनमें यह झूठ भी शामिल है कि आंदोलन में केवल पंजाब के किसान शामिल हैं।
स्वराज इंडिया के प्रमुख यादव ने कहा कि विभिन्न राज्यों के किसानों के इस ‘‘ऐतिहासिक आंदोलन’’ के ‘‘ऐतिहासिक परिणाम’’ निकलेंगे।
यूपी गेट के अलावा किसान पिछले पांच दिन से दिल्ली के सिंघू और टीकरी बॉर्डरों पर डटे हुए हैं। प्रदर्शनकारी किसानों में ज्यादातर पंजाब से हैं।
गौरतलब है कि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसान संगठनों से बुराड़ी मैदान पहुंचने की अपील की थी और कहा था कि वहां पहुंचते ही केन्द्रीय मंत्रियों का एक उच्चस्तरीय दल उनसे बातचीत करेगा।
किसानों के 30 से अधिक संगठनों की रविवार को हुई बैठक में किसानों के बुराड़ी मैदान पहुंचने पर तीन दिसंबर की तय तारीख से पहले वार्ता की केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पेशकश पर बातचीत की गई, लेकिन हजारों प्रदर्शनकारियों ने इस प्रस्ताव को स्वीकारने से इनकार कर दिया और सर्दी में एक और रात सिंघू तथा टीकरी बार्डरों पर डटे रहने की बात कही।
उनके प्रतिनिधियों ने कहा था कि उन्हें शाह की यह शर्त स्वीकार नहीं है कि वे प्रदर्शन स्थल बदल दें। उन्होंने दावा किया था कि बुराड़ी मैदान एक ‘खुली जेल’ है।
केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ने के बीच उत्तर प्रदेश से लगते दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा मजबूत कर दी है और कंक्रीट के अवरोधक लगा दिए हैं।
राष्ट्रीय राजधानी को दूसरे हिस्सों से जोड़ने वाले कई अन्य राजमार्गों को भी अवरुद्ध करने की किसानों की चेतावनी के बीच सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
सिंघू और टीकरी बॉर्डर दोनों जगह शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन जारी है तथा पिछले दो दिन से किसी अप्रिय घटना की कोई खबर नहीं मिली है, लेकिन पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से और किसानों के पहुंचने से गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ गई है।
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि यूपी गेट के पास गाजीपुर बॉर्डर पर स्थिति शांतिपूर्ण बनी हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रदर्शनकारी किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में घुसने से रोकने के लिए सीमेंट के अवरोधक लगाए गए हैं।’’
पुलिस ने हालांकि कहा कि दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर को सील नहीं किया गया है।
पांच दिन से टीकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल सुखविंदर सिंह ने कहा कि किसान दिल्ली की सीमाओं पर अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे क्योंकि वे बुराड़ी मैदान नहीं जाना चाहते।
सिंह ने कहा, ‘‘कम से कम छह महीने तक रहने के लिए हमारे पास पर्याप्त राशन है। हम बुराड़ी नहीं जाना चाहते। यदि हम यहां से जाएंगे तो केवल जंतर-मंतर जाएंगे। हम कहीं और जगह प्रदर्शन नहीं करेंगे।’’
उन्होंने कहा कि वे केंद्र से बातचीत को तैयार हैं, लेकिन यदि बातचीत से कोई समाधान नहीं निकलता है तो वे दिल्ली की तरफ जा रहे सभी मार्गों को अवरुद्ध कर देंगे।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

देश की खबरें | बिहार में कोविड-19 से पांच लोगों की मौत, संक्रमितों के मामले बढकर 2,35,616 हुए

पटना, 30 नवंबर बिहार में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण पिछले 24 घंटे में पांच लोगों की मौत हो गयी, जिसके बाद मरने वालों की संख्या सोमवार को बढ़ कर 1264 पर पहुंच गयी । प्रदेश में इसके साथ ही संक्रमण के 457 नये मामले सामने आने के साथ ही संक्रमितों की संख्या बढ़कर 2,35,616 हो गयी है । स्वास्थ्य विभाग ने इसकी जानकारी दी ।
स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक बिहार में पिछले 24 घंटे के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण से अररिया, किशनगंज, मधुबनी, पटना तथा पूर्वी चंपारण जिले में एक—एक मरीज की मौत हो गयी जिसके बाद महामारी से प्रदेश में मरने वालों की संख्या सोमवार को बढकर 1264 हो गयी ।
यह भी पढ़े | Farmers Protest: केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का बड़ा हमला, कहा- जिस वाड्रा-कांग्रेस ने किसानों की जमीनें हड़पीं, वो आज किसान हितैषी बने बैठे हैं.
विभाग के अनुसार बिहार में रविवार को शाम चार बजे से सोमवार शाम चार बजे तक कोरोना वायरस संक्रमण के 457 नए मामले सामने आये । इसके साथ ही संक्रमितों की संख्या अबतक 2,35,616 पर पहुंच गयी ।
इसमें कहा गया है कि प्रदेश में पिछले 24 घंटे के भीतर 1,16,443 नमूनों की जांच की गयी और कोरोना वायरस संक्रमित 547 मरीज ठीक हुए ।
यह भी पढ़े | COVID-19 Updates in Delhi: दिल्ली में कोरोना का कहर जारी, पिछले 24 घंटे के भीतर सामने आए 5,824 नए केस; कुल संख्या 5,70,374 पहुंची.
बिहार में अबतक कुल 1,46,64,431 नमूनों की जांच की गयी है जिनमें से संक्रमित पाए गए 2,28,798 लोग अब तक संक्रमण मुक्त हो चुके हैं ।
बिहार में वर्तमान में कोविड—19 के 5553 मरीजों का उपचार चल रहा है।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

देश की खबरें | डीडीसी चुनाव जमीनी स्तर के नेताओं को अपने फैसले खुद करने के लिये सशक्त बनाएंगे : जितेन्द्र सिंह

श्रीनगर, 30 नवंबर केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने सोमवार को कहा कि केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में फिलहाल चल रहे जिला विकास परिषद के चुनाव स्वशासन और स्वायत्तता देंगे और साथ ही जमीनी स्तर के नेताओं को अपना फैसला खुद करने के लिये सशक्त बनाएंगे।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी-नीत केन्द्र सरकार जमीनी स्तर के लोगों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘डीडीसी के चुनाव पहली बार हो रहे हैं। ये चुनाव जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए वास्तविक स्वशासन और स्वायत्तता हैं क्योंकि यह जमीनी स्तर के नेताओं को सशक्त बनाएगा।’’
यह भी पढ़े | Farmers Protest: केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का बड़ा हमला, कहा- जिस वाड्रा-कांग्रेस ने किसानों की जमीनें हड़पीं, वो आज किसान हितैषी बने बैठे हैं.
उन्होंने कहा कि घाटी में अधिक मत-प्रतिशत लोगों की इच्छाओं/आकांक्षाओं को दर्शाता है।
सिंह ने कहा, ‘‘लोगों को सोचना चाहिए कि 2019 के लोकसभा चुनाव में इतना कम मतदान क्यों हुआ था और अब लोग वोट डालने क्यों आ रहे हैं। संभवत: उन्हें समझ आ गया है कि वंशवाद की राजनीति समाप्त हो गई है और इस चुनाव से उनकी आकांक्षाएं जुड़ी हुई हैं।’’
यह भी पढ़े | COVID-19 Updates in Delhi: दिल्ली में कोरोना का कहर जारी, पिछले 24 घंटे के भीतर सामने आए 5,824 नए केस; कुल संख्या 5,70,374 पहुंची.
यह पूछने पर कि क्या गुपकर गठबंधन के चुनाव में भाग लेने के कारण इतनी बड़ी संख्या में लोग वोट डालने आ रहे हैं, प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री सिंह ने कहा कि ‘उत्तर इसके विपरीत है।’
वहीं, जम्मू में नेकां और पीडीपी नेतृत्व के खिलाफ हमला बोलते हुए भाजपा नेता एवं केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने आरोप लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों फारुक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर में ‘‘आतंकवाद के फलने-फूलने’’ में मदद की।
जम्मू के बाहरी इलाके मिश्रीवाला में एक रैली को संबोधित करते हुए ठाकुर ने कहा, ‘‘अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवारों ने जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों का बलिदान किया है। उन्होंने आतंकवाद को फलने-फूलने दिया, सभी ओर अंधेरा कर दिया, युवाओं के भविष्य के सभी रास्ते बंद कर दिए।’’

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)