मुंबई, 30 सितंबर बैंकों के गैर-खाद्य ऋण (नॉन फूड बैंक क्रेडिट) की वृद्धि दर इस साल अगस्त में कम होकर छह प्रतिशत पर आ गयी। बुधवार को जारी रिजर्व बैंक के आंकड़ों में इसकी जानकारी मिली।
साल भर पहले यानी अगस्त 2019 में इसकी वृद्धि दर 9.8 प्रतिशत थी।
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बैंक खाद्यान्नों की खरीद के लिये भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को जो ऋण देती है, उसे खाद्य ऋण कहा जाता है। इसके अलावा शेष अन्य प्रकार के ऋण को गैर-खाद्य ऋण कहा जाता है। इसमें कृषि, उद्योग, सेवा आदि क्षेत्र को दिये गये ऋण समेत व्यक्तिगत ऋण भी शामिल होते हैं।
आंकड़ों के अनुसार, 28 अगस्त तक गैर-खाद्य ऋण 90.46 लाख करोड़ रुपये था।
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रिजर्व बैंक ने कहा, ‘‘अगस्त 2020 में कृषि व संबद्ध क्षेत्रों का ऋण 4.9 प्रतिशत बढ़ा, जो अगस्त 2019 में 6.8 प्रतिशत बढ़ा था।’’
इस दौरान उद्योगों को दिये गये ऋण की वृद्धि दर साल भर पहले के 3.9 प्रतिशत की तुलना में कम होकर 0.5 प्रतिशत पर आ गयी।
उद्योगों में ‘खाद्य प्रसंस्करण’, ‘पेट्रोलियम, कोयला उत्पाद और परमाणु ईंधन’, ‘चमड़ा और चमड़े के उत्पाद’, ‘लकड़ी और लकड़ी के उत्पाद’ और ‘कागज और कागज उत्पाद’ आदि श्रेणियों में अगस्त 2019 की तुलना में बेहतर वृद्धि दर्ज की गयी। हालांकि, ‘पेय और तम्बाकू’, ‘निर्माण’, ‘बुनियादी ढांचा’, ‘रबर प्लास्टिक और उनके उत्पाद’, ‘रासायनिक और रासायनिक उत्पाद’, ‘कांच और कांच के बने पदार्थ’ तथा ‘सभी इंजीनियरिंग’ क्षेत्रों में वृद्धि दर में या तो गिरावट आयी या कुल ऋण कम हुआ।
आरबीआई ने आगे कहा कि अगस्त 2020 में सेवा क्षेत्र की ऋण वृद्धि घटकर 8.6 प्रतिशत रह गयी, जो पिछले साल इसी महीने में 13.3 प्रतिशत थी।
व्यक्तिगत ऋणों ने अच्छा प्रदर्शन जारी रखा। इसने अगस्त 2019 में 15.6 प्रतिशत विस्तार की तुलना में 10.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।
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